नई दिल्ली: केन्द्र सरकार/ केन्द्र, राज्य और राज्यों की सहकारिता एजेसियों में वसूली अभियानों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य को सुनिश्चित कर रही है। राज्य सरकारों को समय-समय पर सावधान किया जा रहा है कि वे किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सूनिश्चित करने का प्रबंध करें।
सरकार ने अनाज खरीदने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निश्चित किया है, हालाकि किसानों को यह छूट दी गई है कि वे चाहें तो सरकारी एजेसियों को अपनी फसल बेचे या खुले बाजार में।
इसके अलावा सरकार ने सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने को कई कदम उठाये हैं। इसके तहत क्षेत्रों के मद्दे नजर वसूली केन्द्रों की स्थापना, न्यूनतम समर्थन मूल्य के संबंध में किसानों को जागरूक बनाना, खाते में देय चेक या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से सहकारी संस्थाओं के जरिये भुगतान करना, ई-वसूली प्रणाली को अपनाना, कुछ राज्यों में वसूली अभियान के तहत निजी क्षेत्र की एजेसियों का सहयोग लेना इत्यादि शामिल है।
किसानों को उचित कीमत मिले, इसके लिए सरकार ने विभिन्न राज्यों में 2016-17 के दौरान 38.65 मिलियन टन चावल, 22.93 मिलियन टन गेहूं और 1.3 मिलियन टन दलहन की वसूली की है।
सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार के तहत पूरे भारत में इलेक्ट्रॉनिक आधार पर करोबार करने की योजना शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य साझा ई-बाजार के जरिये 585 नियमित बाजारों को जोड़ना है। हर राज्य को तीन प्रमुख सुधार करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिनमे इलेक्ट्रॉनिक कारोबार को अनुमति, पूरे राज्य में एकल लाइसेंस की मान्यता और एकल बाजार शुल्क शामिल हैं। राष्ट्रीय कृषि बाजार के अन्तर्गत 13 राज्यों के 455 बाजार आ गये हैं।
यह सूचना आज लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री एस एस आहलूवालिया ने दी।