लखनऊः प्रदेश में जारी खाण्डसारी नीति के तहत किसी खाण्डसारी इकाई की स्थापना हेतु नजदीकी चीनी मिल गेट से 15 किमी. त्रिज्यात्मक दूरी के बाहर ही लाइसेंस प्रदान किया जा सकता है। मा. मुख्य मंत्री के निर्देशों के क्रम में खाण्डसारी इकाइयों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चीनी मिल गेट से लाइसेंस प्रदान करने हेतु वांछित त्रिज्यात्मक दूरी को घटाकर 8 किमी. कर दिया गया है।
यह उद्गार प्रदेश के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री सुरेश राणा, गन्ना संस्थान में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में व्यक्त कर रहे थे। पत्रकारों से रू-बरू श्री राणा ने कहा कि सरकार के इस महत्वपूर्ण कदम से प्रदेश में अधिक खाण्डसारी इकाइयाँ स्थापित होंगी तथा किसानों के गन्ने की समय से पेराई होगी। उन्होने कहा कि खाण्डसारी उत्पाद पर कोई कर एवं जी.एस.टी. देय नहीं है मात्र चीनी मिल के रिजर्व क्षेत्र से गन्ना खरीद पर उचित एवं लाभकारी मूल्य का 0.5 प्रतिशत की दर से विकास कमीशन गन्ना विकास परिषद् को देय है, जिसका उपयोग क्षेत्र के गन्ना विकास हेतु किया जाता है।
पत्रकारों को संबोधित करते हुए श्री राणा ने बताया कि प्रदेश में उध्र्व कोल्हू या शक्ति चालित उध्र्व कोल्हू लगाकर किसान को स्वयं के उपयोग के लिए गुड़ एवं राब के निर्माण हेतु किसी प्रकार के लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है तथा गन्ना नियंत्रण आदेश, 1966 एवं खाण्डसारी शक्कर निर्माताओं को लाइसेंस देने की आज्ञा, 1967 से गुड़ शब्द का विलोप होने के कारण गुड़ बनाने वाले सभी पाॅवर क्रेशर लाइसेंस, जी.एस.टी. व विकास कमीशन से मुक्त होंगे तथा प्रदेश में गुड़ उद्योग का चहुमुखी विकास होगा तथा किसानों के गन्ने का उचित निस्तारण होगा।
इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास श्री संजय भूसरेड्डी ने उपस्थित पत्रकारों को बताया कि इस निर्णय से प्रदेश में खाण्डसारी उद्योग को बढ़ावा मिलेगा एवं खाण्डसारी उद्योग सशक्त होकर नये रोजगार सृजन करने में सहायक होगा एवं कृषकों के बढ़े हुए गन्ना उत्पादन का समय से निस्तारण सुनिश्चित होगा।