1. किरायेदार विरोधी का जो मूल किरायेदार जिसका वारिस विरोधी पक्ष हो उस स्थान में जितनी अधिक अवधि से अपन धंधा चला रहा हो उतना ही कम औचित्य बेदखली आवेदन पत्र को गौर करने का अधिक औचित्य समक्षा जायेगा।
2. जिस किरायेदार के पास आपना कोई ऐसा स्थान हो जिसमें की वह अपना कारोबार चला सकता हो उस हालत में मकान मालिक के केस आदलत में दाखिल हो सकता है।
धारा 21 में जब मालिक मकान स्वयं रहना चहता हो या उसे गिरवाकर नया बनवाना चाहता हो उसे आवेदन पत्र का शुल्क 10 रू0 होता है, इस केस के फैसले के बारे में अपील धारा 22 के अन्तर्गत जिला जज की अदालत में की जा सकती है। उसका भी शुल्क 10 रू0 है।
यदि कोई मकान मालिक की अपनी व उसके किसी सगे संबधी अथवा सदस्य की जरूरत के आधार पर खाली होता हैं और मालिक मकान उसका ऊपयोग उसी आधार पर नहीं करता है तो पूराना किरायेदा फिर से उसके विरूध केस करके उसे फिर से प्राप्त कर सकता है। यह केस जिला जज के ही होगा।
12 comments