नई दिल्लीः कुडनकुलम इकाइयों -1 और 2 (2×1000 मेगावाट) के पूरा होने में देरी मुख्य रूप से रूसी संघ के उपकरणों की अनुक्रमिक प्राप्ति में देरी और संयंत्र स्थल पर बाद में स्थानीय विरोधों के कारण हुई थी। संयंत्र को चालू किए जाने से पूर्व विरोध प्रदर्शनों, संसाधनों को हटाने तथा बाद में संसाधन पुनःजुटाने, विभिन्न मुकदमों, माननीय कोर्ट के निर्देशों का पालन करने के दूरगामी प्रभावों के कारण इसे चालू करने में समय लगा। इसके अलावा, भारत में बड़ी इकाई के आकार का पहला रियेक्टर होने तथा बहुत से उपस्करों/उपकरणों के आयात किए जाने, पुनरीक्षण तथा विनियामक स्वीकृतियां प्राप्त करने में भी विलम्ब हुआ।
केकेएनपीपी -1 और 2 (2×1000 मेगावाट) के शुरु करने में ऊपर दिए गए कारणों से देरी हुई। इसके परिणामस्वरूप केकेएनपीपी -1 को पूरा करने की तारीख दिसंबर 2007 से मई -2013 और केकेएनपीपी -2 को पूरा करने की तारीख दिसंबर -2008 से अक्टूबर 2013 करनी पड़ी। इस समय, दोनों इकाइयां वाणिज्यिक परिचालन में हैं और अपनी निर्धारित क्षमता पर काम कर रही हैं। इन इकाइयों में जनवरी 29, 2018 तक कुल मिलाकर 23122 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ है।
ऐसा, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास विभाग) में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, राज्य मंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह ने आज राज्य सभा में श्री माजिद मेमन द्वारा पुछे गए प्रश्नों के लिखित उत्तर में बताया।