लखनऊः उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही की अध्यक्षता में राज्य जैव ऊर्जा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन पर बल दिया गया। उत्तर प्रदेश कृषि प्रधान देश है। प्रदेश में गेहँू तथा धान की फसलें मुख्य रूप से होती हैं। फसलों की कटाई के उपरान्त जो अवशेष खेत में बच जाते हैं, उनकों जलाये जाने से प्रतिबन्धित कर उसके वैकल्पिक उपयोग के तौर तरीकों को वृहद रूप से किसानों के बीच में प्रसारित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। प्रदेश में कार्यरत चीनी मिलों से पिछले वर्ष 827 लाख टन गन्ने की पेरायी की गई। पेरे गये गन्ने से प्रेसमड अपशिष्ट का उपयोग करने का निर्णय लिया गया।
इस अवसर पर उ0प्र0 राज्य जैव ऊर्जा विकास बोर्ड के अधिकारियों द्वारा प्रदेश में विभिन्न प्रकार के कृषि अपशिष्टों तथा पशुपालन अपशिष्टों की वर्तमान उपलब्धता का आकलन किया गया। जैव ऊर्जा को औद्योगिक स्वरूप प्रदान करने के उपरान्त प्रदेश में ऊसर, परती, बंजर, बीहड़ क्षेत्रों में बायोमास उत्पादन कर जहाँ एक ओर प्रदेश की विकास दर में वृद्धि होगी, वहीं उक्त बेकार भूमि पर बायोमास उत्पादन कार्यक्रम से पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को भी बल मिलेगा तथा ऊर्जा क्षेत्र में प्रदेश पर्यावरण प्रिय तरीके से आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर होगा। कार्यक्रम में नीम, महुआ, करंज तथा अन्य तैलीय बीजोत्पादों को संग्रहण कर बायोडीजल उत्पादन पर विचार विमर्श किया गया।