नई दिल्ली: भारत के उप राष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने कृषि वैज्ञानिकों से खेती को साध्य, लाभकारी और लंबे समय तक चल सकने काबिल बनाये जाने पर ध्यान देने को कहा, साथ ही बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकता पूर्ति के लिये घरेलू खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये भी कहा। उन्होंने आज हैदराबाद स्थित आईसीएआर – भारतीय चावल शोध संस्थान में ‘2022 तक आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कृषि आय को दोगुना करने’ के संबंध में चर्चा की।
उप राष्ट्रपति ने वैज्ञानिकों से कई प्रश्न पूछे और कैसे शोध किसानों को सशक्त बना रहा है इस विषय पर उनका उत्तर जाना।
उप राष्ट्रपति ने उनसे किसाानों की चुनौतियों को सुलझाने के लिये नये और अनोखे समाधान ढूंढ़ने के लिये कहा। उन्होंने कहा एक ‘प्रसन्न किसान एक प्रसन्न राष्ट्र का निर्माण करता है’।
उन्होंने पूछा, “हमें समस्याओं के बारे में पता है। इनका समाधान क्या है, इस बारे में नये विचार क्या हैं,किसानों तक तकनीक पहुंचाने के रास्ते क्या हैं?” उन्होंने साफ किया कि किसानों की समस्याओं में से एक है उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का अभाव।
इसी प्रकार, दूसरा मुद्दा जिस पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है वह है खेती की लागत में बढ़ोत्तरी। फसलों का विविधीकरण और कृषि से संबंधित अन्य कार्य जैसे घर के पिछवाड़े में कुक्कुट पालन भी किसानों की आय बढ़ाने के लिये उतना ही अहम है। उन्होंने वैज्ञानिकों से ई-नाम को किसान समुदाय में और लोकप्रिय बनाने की भी अपेक्षा की।
घरेलू साधनों पर आधारित खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता पर बल देते हुये उन्होंने कहा उत्पादकता और उत्पादन दोनों को बढ़ाना होगा क्योंकि देश ‘आयातित खाद्य सुरक्षा’ पर निर्भर नहीं रह सकता है। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों को किसानों की गतिविधियों का केंद्र बनाया जाना चाहिये।
व्यवहारिक समाधान ढूंढ़ने के लिये वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं से किसानों के साथ पर्याप्त समय बिताने की अपील करते समय उन्होंने सुझाव दिया कि कृषि विषय का अध्ययन कर रहे छात्रों के लिये किसानों के साथ रहना अनिवार्य बना दिया जाना चाहिये। कृषि से संबंधित कर्ज की चर्चा करते हुये श्री नायडु ने किसानों को समय से और कम ब्याज वाला सस्ता कर्ज दिये जाने पर जोर दिया।