नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज नई दिल्ली में न्यू
डेवल्प्मेंट बैंक (एनडीबी) की दूसरी वार्षिक बैठक के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर दिए गए उनके भाषण के प्रमुख अंश नीचे दिए गए हैं –
‘‘एनडीबी के गवर्नर्स और प्रतिनिधि मंडलों के प्रमुखों, अध्यक्ष श्री कामत, सर चक्रवर्ती, श्री ह्येर, श्री अड़ेसिना, विशिष्ट अतिथियों, देवियो और सज्जनों,
मैं सबसे पहले भारत में आने पर आप सभी का स्वागत करता हूं और उम्मीद करता हूं कि आपको यहां ठहरना आनंददायक रहा होगा। यह वास्तव में हमारे लिए सौभाग्य और सम्मान की बात है कि हम न्यू डेवल्प्मेंट बैंक (एनडीबी) की दूसरी वार्षिक बैठक की मेजबानी कर रहे हैं।
सितम्बर, 2006 में न्यूयार्क में ब्राजील, चीन, रूस और भारत के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी, जिसे अब एक दशक से अधिक समय हो चुका है। इसमें ब्रिक्स की आधारशिला रखी गई थी। उसके बाद से ब्रिक्स का कई क्षेत्रों में विकास हुआ और एनडीबी उसी कड़ी में एक नई उपलब्धि है।
वैश्विक परिदृश्य अभी भी चुनौतीपूर्ण है
एनडीबी का उदय भारी आकांक्षाओं के बीच ऐसे समय हुआ, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था कठिन दौर से गुजर रही थी। अंततः कुछ उम्मीदों की किरणें नजर आने लगीं। 2015 और 2016 में धीमी प्रगति के बाद कुछ उम्मीद जगी और यह अनुमान लगाया गया कि 2017 में वैश्विक विकास दर बढ़ कर 3.4 प्रतिशत और 2018 में बढ़ कर 3.6 प्रतिशत हो जाएगी। राजकोषीय पैकेज की उम्मीद से सीमित अमरीकी अर्थव्यवस्था में जबर्दस्त बहाली हुई और यह पूर्ण रोजगार की तरफ बढ़ रही है। अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं से भी अच्छी खबर मिली, जैसे स्पेन और इंग्लैंड, जहां ब्रेग्जिट वोट के प्रभाव के बाद घरेलू मांग में उम्मीद से भी अधिक इजाफा हुआ, लेकिन यह भी अधूरी कहानी रही, क्योंकि कुछ अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मांग अभी भी स्थिर बनी हुई थी, उनमें गैर-निष्पादक ऋणों का स्तर बहुत ऊंचा था और भावी विकास को लेकर अनिश्चय की स्थिति बनी हुई थी।
उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीईज़), में समग्र वृद्धि बढ़ रही है, हालांकि अलग अलग देशों में विकास की संभावनाएं भिन्न भिन्न हैं। ब्रिक्स देशों से खबरें सामान्यतौर पर उत्साहवर्द्धक हैं। एक बड़े पुनर्संतुलन के बीच चीन की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ बनी हुई है। भारत भी सुदृढ़ विकास दर के साथ आगे बढ़ रहा है। रूस और ब्राजील जो 2016 में नकारात्मक वृद्धि क्षेत्र में थे, उनमें भी 2017 और 2018 में सकारात्मक वृद्धि होने की उम्मीद है। ईएमडीईज़ का चालू वर्ष के दौरान समग्र वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक तिहाई से अधिक योगदान रहने की उम्मीद है।
चुनौतियों की बीच अवसर
वैश्विक परिदृश्य की चुनौतियों के बीच अवसर भी निहित हैं। ईएमडीईज़ में ढाचागत क्षेत्र में निवेश के लिए पूरी न की गई अनुमानित मांग अत्यंत विशाल है। विश्व बैंक के अनुसार इन देशों में ढांचागत क्षेत्र की मांग एक ट्रिलियन अमरीकी डॉलर वार्षिक से अधिक है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ईएमडीईज़ देश इस भारी निवेश को निरंतरता के आधार पर करना चाहते हैं। प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय विकास बैंक (एमडीबीज़) वर्तमान में पूंजी अभाव से जूझ रहे हैं और उनमें प्रक्रियाओं पर अधिक बल दिए जाने के कारण वे इस वित्तीय चुनौती को पूरा करने में असमर्थ हैं। ऐसे में एनडीबी जैसे बैंक के लिए शून्य स्थिति का लाभ उठाने के अवसर हैं।
सितम्बर 2015 में एनडीबी की स्थापना के बाद से इसके अध्यक्ष कामथ और उनकी टीम ने सराहनीय कार्य किया है। किसी भी संस्थान के संगठनात्मक वर्ष आसान नहीं होते। एनडीबी इन चुनौतियों से सफलतापूर्वक उभर कर बेहतर परिणाम दर्शा रहा है। यह खुशी की बाद है कि बैंक ने पूर्ण प्रचालन शुरू कर दिया है। निदेशक मंडल द्वारा सात ऋण पहले ही मंजूर किए जा चुके हैं। बाजार से धन जुटाने में भी बैंक सफल रहा है। मुझे उम्मीद है कि भारत में भी शीघ्र ही पहला ऋण वितरण हो जाएगा। अफ्रीका क्षेत्र में बैंक का केंद्र खोलने पर भी सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है।
भारत के गवर्नर के बारे में कुछ शब्द कहना चाहूंगा
इस कठिन समय के दौरान प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में भारत एक उज्ज्वल स्थल बना रहा है। जनवरी, 2017 में किए गए आईएमएफ के मूल्यांकन के अनुसार 2016 में भारत की विकास दर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह 2017 और 2018 में बढ़ कर क्रमश 7.2 प्रतिशत और 7.7 प्रतिशत हो जाने की संभावना है। हमने सबसे बड़े मुद्रा सुधार सहित अनेक सुधारात्मक उपाय लागू किए हैं, जो भारत की अर्थव्यवस्था को कम नकदी वाले मार्ग पर ले जाएंगे, उनसे कर अनुपालन बढ़ेगा और जाली मुद्रा के खतरे कम होंगे।
एनडीबी से उम्मीदें
भारत में बुनियादी ढांचे में निवेश की पूरी न की गई मांग अत्यंत विशाल है। अगले 5 वर्षों में इस क्षेत्र में करीब 43 लाख करोड़ (करीब 646 अरब अमरीकी डॉलर) रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी। यह निवेश एनडीबी जैसे संस्थान के लिए एक व्यापक अवसर सिद्ध हो सकता है, जिसका बुनियादी लक्ष्य स्थायी ढांचागत विकास को बढ़ावा देना है। मुझे खुशी है कि एनडीबी ऋण के लिए पहला समझौता कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश में हस्ताक्षरित किया गया, जो प्रमुख जिला सड़कों के वित्त पोषण से संबंधित है।
एनडीबी आज एक चौराहे पर खड़ा है और गवर्नर्स के नाते हम अगले 5 वर्षों के लिए बैंक की कार्यनीति पर विचार करेंगे। इसमें बैंक की पूंजी, ऋण पोर्टफोलियो और सदस्यता का विस्तार शामिल है। एनडीबी की विशिष्टता यह रहनी चाहिए कि ऋण तेजी से आकलित किए जाएं, उनकी लागत कम रहे और वित्त पोषण के विलेखों में विविधता हो। इसके अलावा स्थानीय करेंसी में वित्त पोषण, यथासंभव सम्बद्ध देश की प्रणाली को अपनाना और ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार लचीलापन अपनाना भी हमारा प्रयास रहेगा। ये सभी ऐसे तत्व हैं, जो एनडीबी को एक नया संस्थान बनने में सहायक होंगे।
अध्यक्ष महोदय, मुझे उम्मीद है कि भारत एनडीबी के साथ एक दीर्घावधि की, लाभकारी, गहन और परस्पर लाभप्रद भागीदारी का निर्वाह करेगा। मैं इस उम्मीद के साथ अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा कि एनडीबी एक ऐसे विकास बैंक के रूप में उभरेगा, जो विकासशील देशों की आवाज और आकांक्षाओं को व्यक्त करेगा और बहुराष्ट्रीय वित्त पोषण के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित करेगा।