नई दिल्ली: केन्द्रीय इस्पात मंत्री श्री बीरेन्द्र सिंह ने देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में एमएसटीसी मेटल मंडी के जरिए आरआईएनएल द्वारा इस्पात उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री के लिए आज एक समर्पित ई-पोर्टल लांच किया। इस अवसर पर इस्पात राज्य मंत्री श्री विष्णु देव साई, इस्पात सचिव डॉ. अरुणा शर्मा, आरआईएनएल के सीएमडी श्री पी. मधुसूदन और एमएसटीसी के सीएमडी श्री बी.बी. सिंह भी उपस्थित थे।
श्री बीरेन्द्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि ई-पोर्टल माननीय प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ मिशन के बीच तालमेल का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा, ‘इस साल फरवरी में जब हमने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के बीच संसाधनों की पूलिंग के लिए एक समन्वय समिति गठित की थी तो हमारे मन में इस तरह की परियोजनाओं के लिए व्यापक संभावनाएं थीं। मुझे खुशी है कि यह परियोजना शुरू की जा रही है और यह इस तरह की अभिनव परियोजनाओं का एक अच्छा उदाहरण होना चाहिए। मंत्रालय ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में इस्पात की खपत बढ़ाने के लिए प्रथम क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किया था। हमारी सरकार इस क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है और वहां अनेक नई परियोजनाएं शुरू एवं क्रियान्वित की जा रही हैं। हमारी इस्पात कम्पनियों को इस बाजार का दोहन अवश्य ही करना चाहिए और इसके साथ ही वहां की इस्पात जरूरतों की पूर्ति करनी चाहिए। हमें ऐसे कई और क्षेत्रों की तलाश करनी चाहिए जहां हमारे पीएसयू उत्पादन स्तर बढ़ाने, नये बाजारों की तलाश करने और सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने के लिए आपस में मिल-जुलकर काम कर सकें।’
उपर्युक्त ई-पोर्टल में विभिन्न उपलब्ध उत्पादों, उनके विनिर्देशों, कीमतों इत्यादि के बारे में सूचनाएं हैं। घर के दरवाजे पर डिलीवरी इस पहल की आकर्षक विशेषताओं में से एक है। समूची प्रक्रिया पारदर्शी है और एक यूजर अनुकूल इंटरफेस के जरिए आपस में बातचीत करना संभव है। वेब के जरिए बिक्री पूछताछ आधारित प्रणाली है जिसके तहत पंजीकृत क्रेता पोर्टल के जरिए इस्पात (मुख्यतः टीएमटी सरिया और स्ट्रक्चरल उत्पाद) की अपनी जरूरतों के लिए एन्क्वायरी भेज सकता है। एन्क्वायरी मिलने पर आरआईएनएल इस बिक्री पर अमल के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।
एमएसटीसी की वेब सेवाओं का उपयोग करते हुए आपसी लाभ के लिए इस्पात मंत्रालय के अधीनस्थ संसाधनों की पूलिंग करने से जहां एक ओर आरआईएनएल को लागत में बचत संभव होगी, वहीं दूसरी ओर नये बाजारों के विकास का अवसर मिलेगा।
10 comments