नई दिल्लीः केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि केन्द्र सरकार किसानों के कल्याण के लिए कृषि में सबसे अधिक राशि का आवंटन कर कृषि क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। केन्द्र सरकार का लक्ष्य है कि फसल उत्पादकता में और वृद्धि हो, किसान की उपज का उचित निर्धारण हो तथा डेरी/पशुपालन/मत्स्य पालन विकास आदि पर जोर देते हुए कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विस्ता्र प्रणाली को ज्यादा से ज्यादा बढावा दिया जाए। श्री सिंह ने यह बात आज नई दिल्ली में आयोजित खरीफ अभियान 2017 से संबंधित दो दिवसीय राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन में कही। इस मौके पर मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला, श्री सुदर्शन भगत और कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
श्री सिंह ने इस मौके पर कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कृषि मंत्रालय की तरफ से सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखा गया है कि वे इस दिशा में एक सार्थक कार्यनीति पर कार्य करें। कार्यनीति बनाते समय उन्हें कृषि उत्पादन से लेकर इन उत्पादों से तैयार किए जाने वाले प्रसंस्कृत उत्पादों तक के कार्यकलापों पर पैनी नजर रखनी होगी।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसानों के लिए केन्द्र सरकार ने कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मृदा स्वास्थ्य योजना, परम्परागत कृषि विकास योजना, ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार स्कीमें, राष्ट्रीय कृषि वानिकी (मेड़ पर पेड़), नीम लेपित यूरिया कुछ ऐसे ही विशेष कार्यक्रम हैं। दुग्ध उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन की शुरूआत की गयी है। नीली क्रांति के तहत अन्तर्देशीय एवं डीप सी फिशिंग पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। इन कार्यक्रमों के जरिए कृषि उत्पादकता और किसानों की आमदनी में सुधार लाना है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को पाने के लिए सबको पूरे समर्पण और ईमानदारी के साथ काम करना होगा। श्री सिंह ने कहा कि यह खुशी की बात है कि इस वर्ष कृषि और उससे संबंधित क्षेत्रों की लक्षित वार्षिक वृद्धि दर लगभग 4 प्रतिशत रही है। कृषक समुदाय को हर संभव फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की विभिन्न स्कीमों को विशेष मिशनों, स्कीमों और कार्यक्रमों में बदल दिया गया है। सभी हितधारकों के संयुक्त प्रयासों के फलस्वरूप 2016-17 के दौरान द्वितीय अग्रिम अनुमान के अनुसार देश में कुल खाद्यान्न का उत्पादन लगभग 271.98 मीलियन टन अनुमानित है जो वर्ष 2015-16 की तुलना में 8.11% अधिक है। उन्होंने यह भी कहा कि खाद्यान्न का यह उत्पादन पिछले 5 वर्षों के औसत उत्पादन से भी 5.82% अधिक है। वर्ष 2013-14 में खाद्यान्नों का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था। इस वर्ष का खाद्यान्न उत्पादन वर्ष 2013-14 के खाद्यान्न उत्पा्दन से 2.61% अधिक है।
श्री सिंह ने कहा कि कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा विभिन्न फसलों के उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए चलाई गई विभिन्न योजनाओं- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम), राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम), राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई), राष्ट्रीय कृषि विस्ता्र एव प्रौद्योगिकी और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना (डीबीटी) आदि का फायदा किसानों को मिलने लगा है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि मंत्रालय की एक प्रमुख योजना- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) में चावल, गेहूं, दलहन, मोटे अनाज और कई तरह की व्यापारिक फसलें शामिल हैं। वर्तमान सरकार के अस्तित्व में आने के पूर्व इस योजना का कार्यान्वयन 19 राज्यों के 482 जिलों में हो रहा था। एनडीए सरकार के आने के बाद वर्ष 2015-16 से एनएफएसएम का क्रियान्वयन 29 राज्यों के 638 जिलों में कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त लगभग 2.70 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में जैविक बागवानी हो रही है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना या आरकेवीवाई का लक्ष्य कृषि और समवर्गी क्षेत्रों का समग्र विकास सुनिश्चित करते हुए 12वीं योजना अवधि के दौरान वार्षिक विकास प्राप्त करना है तथा उसे बनाए रखना है। श्री राधा मोहन सिंह ने बताया कि कृषि मंत्रालय तिलहनी फसलों के उत्पादन और उत्पादकता पर अधिक जोर दे रहा है। उन्होंने कहा कि फलों, सब्जियों और बागवानी फसलों पर भी सरकार समान रूप से जोर दे रही है। सरकार बीजों की गुणवत्ता और उपलब्धता दोनों पर पूरा ध्यान दे रही है। इसके अलावा बीज मिशन भी शुरू किया गया है जिसके अंतर्गत बीज प्रसंस्करण, बीज भण्डारण, बीजों की गुणवत्ता में सुधार, आपात स्थिति से निपटने के लिए बीजों का भण्डारण आदि कार्यों के लिए अनुदान प्रदान किया जा रहा है।
श्री सिंह ने कहा कि सरकार मुख्य कृषि जिंसों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा कर किसानों के हितों की रक्षा कर रही है। हमारी मूल्य नीति में अर्थव्यवस्था की समग्र आवश्यकताओं के परिप्रेक्ष्य में संतुलित और एकीकृत मूल्य संरचना तैयार करने की व्यवस्था है। केंद्रीय नोडल एजेंसियां जैसे FCI, CCI, JCI, NAFED, SFAC आदि इस उद्देश्य से खरीद कार्य शुरू करने के लिए मंडी में हस्तक्षेप करती है कि बाजार मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी से नीचे न गिरे। यदि किसी कृषि जिंस जिसका समर्थन मूल्य घोषित नहीं हो यदि बाजार कारणों से जिंस का मूल्य ह्रास हो जाता है तो केंद्र सरकार बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) के माध्यम से किसानों को लाभदायक मूल्य सुनिश्चित करती है। वर्ष 2014-15 से वर्ष 2016-17 तक भारत सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु, अरूणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैण्ड राज्यों में मिर्च, सेब, अदरख, आलू, ऑयल पाम, अंगूर, प्याज, सुपारी इत्यादि की खरीद अभी तक किसान हित में की गई है। इसके अतिरिक्ति कृषि जिंसों के मूल्य में अत्यधिक तेजी या कमी होने के कारण न केवल उपभोक्ताओं को बल्कि किसानों को भी अत्यधिक नुकसान होता है। सरकार ने इस स्थिति से निपटने के लिए 500 करोड़ रूपये की राशि से मूल्य स्थिरीकरण फंड की शुरूआत की थी, जो अब बढ़कर 1500 करोड़ रूपये हो गया है। दालों के बढ़ते मूल्य को नियंत्रित करने के लिए 40,000 मिट्रिक टन दाल विभिन्न राज्यों को उनके अनुरोध पर उपलब्ध कराई गई है एवं 20 लाख मिट्रिक टन दाल की खरीद बफर स्टॉक के रूप में की जा रही है। साथ ही, 20,000 मिट्रिक टन प्याज की खरीद बफर स्टॉटक के रूप में की जा चुकी है।
श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि अब जल्द ही खरीफ मौसम आने वाला है। अत: यह आवश्यक है कि राज्य सरकारें समय रहते फसलों की वांछित किस्मों के गुणवत्ताप्रद बीजों की पर्याप्त मात्रा में खरीद करने और किसानों के लिए उर्वरक की पर्याप्त मात्रा का स्टाक करने के लिए योजना बनाएं। राज्य सरकार द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जाए कि बुवाई मौसम के दौरान इनपुट की कोई कमी न हो। किसानों को फसल बीमा का लाभ प्रदान करने के लिए पूर्व की बीमा योजनाओं की कमियों को दूर करते हुए सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ, 2016 सीजन से शुरू की है। इसके तहत फसल की बुवाई के पूर्व से लेकर कटाई उपरांत तक हुए नुकसानों के लिए व्यापक बीमा सुरक्षा प्रदान की गई है। सरकार ने मिट्टी के स्वास्थ्य स्वॉयल हेल्थ कार्ड स्कीम की शुरूआत की है। जैविक खेती और सतत् कृषि को बढ़ावा देने के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना नामक नई योजना प्रारम्भ की गई। किसानों की आय में वृद्धि के मद्देनजर सरकार द्वारा कृषि वानिकी एवं मधुमक्खीय पालन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आखिर में श्री राधा मोहन सिंह ने सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे निधियों के सुचारू और समय पर प्रवाह के लिए विशेष प्रयास करें ताकि समय पर प्रस्तावित कार्यों को शुरू करने के लिए बहुत पहले ही किसानों को निधियां मिल जाए। श्री सिंह ने राज्य सरकारों से यह अनुरोध भी किया कि वे अपनी कार्य प्रणाली में पारदर्शिता लाएं।
इस सम्मेलन में पिछले वर्ष के फसलों के उत्पादन, आगामी खरीफ की फसल के उत्पादन को बढ़ाने, विभिन्न राज्य सरकारों को परामर्श से फसलवार उत्पादन के लक्ष्यों का निर्धारण करने, बुआई शुरू होने से पहले आवश्यक इनपुट की उपलब्धता सुनिश्चित करने और कृषि क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियों तथा नवाचारों के उपयोग एवं कार्यान्वयन पर चर्चा होगी।