नई दिल्ली: केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज यहां नवगठित द्वीप विकास एजेंसी (आईडीए) की पहली बैठक की अध्यक्षता की। आईडीए की स्थापना द्वीपों के विकास के लिए प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक के बाद 01 जून 2017 को की गई थी।
गृह मंत्री ने सुरक्षा चिंताओं को दूर करते हुए प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणाली की रक्षा करने के साथ-साथ भारत के समुद्रों के निकट अर्थव्यवस्था के विकास के लिए एक विजन प्रस्तुत किया। उन्होंने लोगों की भागीदारी के साथ द्वीपों के निरंतर विकास की आवश्यकता पर बल दिया।
नीति आयोग के सीईओ ने वर्तमान स्थिति और पहचाने गए द्वीपों के समग्र विकास के कार्य को आगे बढ़ाने के बारे में विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने जानकारी दी कि निरन्तरता के सिद्धान्त, लोगों की भागीदारी, पारिस्थितिकी प्रणाली की रक्षा और दिशा निर्देश सिदान्तों के रूप में क्षमता को आगे बढाने की प्रतिबद्धता के साथ संकल्पना विकास योजनाएं और विस्तृत मास्टर प्लान तैयार किए जा रहे हैं। देश में इस तरह का कार्य पहली बार हाथ में लिया गया है।
पूर्व नौ सेनाध्यक्ष और आईडीए के वाइस चेयरमैन एडमिरल डी.के.जोशी ने सुनियोजित परियोजनाओं के निरन्तर कार्यान्वयन के लिए उपयुक्त कदम उठाने का सुझाव दिया।
बैठक के दौरान समन्वित मास्टर प्लानों और द्वीप विकास से जुड़े अन्य मामलों को अमल में लाने के लिए हुई प्रगति की समीक्षा की गई। यह भी फैसला किया गया कि अण्डमान निकोबार द्वीप के उपराज्यपाल और लक्ष्यद्वीप के प्रशासक को आईडीए के सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा।
प्रमुख साझेदारों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद पहले चरण में 10 द्वीपों अण्डमान और निकोबार तथा मिनीकॉय में स्मिथ, रोस, एव्स, लोंग एण्ड लिटिल अण्डमान, लक्ष्यद्वीप में बंगाराम, सुहेली, चेरियम और टिन्नाकारा की समग्र विकास के लिए पहचान की गई। इस बैठक के साथ भारत के द्वीपों के समग्र विकास को काफी गति मिली है।
आईडीए के अन्य सदस्यों मंत्रिमंडल सचिव, गृह सचिव, सचिव (पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन), सचिव (पर्यटन) और सचिव (जन-जातीय कल्याण) ने भी बैठक में भाग लिया।
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