भारत के राष्ट्रपति श्री एम. हामिद अंसारी ने कहा है कि केरल की सामाजिक प्रगति ने राज्य के ऐसे आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया है, जो सामाजिक और पर्यावरण की दृष्टि से स्थायी है। वे आज त्रावणकोर, केरल में रॉयल रेस्क्रिपट-जून 1817 के द्वि-शताब्दी के अवसर पर इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसिसेज द्वारा ‘समावेशी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा’: स्थायी विकास लक्ष्य-4 और केरल मॉडल से सबक’ विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि केरल को ऐसी आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान केन्द्रित करना होगा, जिनमें राज्य अपनी विशिष्ट क्षमताओं जैसे शिक्षित कार्मिक शक्ति, लोकतांत्रिक संस्थानों और एक अनुकूल प्राकृतिक वातावरण, का उपयोग कर सके। उन्होंने यह भी कहा कि केरल को एक वास्तविक ज्ञान-आधारित समाज के रूप परिवर्तित करने के लिए ‘इक्कीस वीं सदी के कौशलों’ को शिक्षा में अधिक स्थान दिया जाना चाहिए, जिनमें महत्वपूर्ण चिंतन, समस्या समाधान, रचनाशीलता और डिजिटल साक्षरता शामिल हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि केरल को एक जाति प्रथागत समाज से समतामूलक समाज में परिवर्तित करने में शिक्षा की अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में शिक्षा के लिए दो सदी पहले जनआंदोलन शुरू किया गया था, जिसके फलस्वरूप नागरिक सक्रियता का विकास हुआ, जो आधुनिक केरल का एक महत्वपूर्ण आयाम है।