लखनऊ: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की बीकेटी में चल रही राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक में नई राष्ट्रीय कृषि एवं शिक्षा नीति बनाये जाने को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में कृषि शिक्षा को मुख्यधारा से जोड़ने की बात की गई। आजादी के बाद कृषि को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है। किन्तु ऐसा हुआ नहीं।
विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद ने इसके मद्देनजर सरकार को सुझाव दिये हैं। इसके अनुसार कृषि को प्राथमिक से लेकर माध्यमिक शिक्षा में अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करना चाहिए।
यह जानकारी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री सीमांतदास, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुश्री शहजादी व केरल प्रांत मंत्री पी श्यामराज ने मंगलवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के डीपीए सभागार में प्रेसवार्ता के दौरान दी।
राष्ट्रीय मंत्री सीमांत दास ने बताया कि कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने से भावी पीढ़ी में कृषि के प्रति लगाव व जानकारी बढ़ेगी। आधुनिक विधि, तकनीक, शोध आदि की जानकारी विद्यालयों को मिलनी चाहिए। कृषि बाहुल जिलों में कृषि महाविद्यालय खोले जाऐं मातृभाषा में कृषि शिक्षा दी जाए, राष्ट्रीय कृषि शिक्षा नीति बनाई जाए। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों के परिवीक्षण हेतु राष्ट्रीय कृषि शिक्षा परिषद की स्थपना की जाए, आईआईटी, आईआईएम की तर्ज पर कृषि संस्थान खोले जाने की अवश्यकता है।
चिकित्सा शिक्षा में ध्यान दे सरकार
प्रस्ताव में चिकित्सा शिक्षा की कमियों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया गया। चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों की कमी को दूर करना चाहिए। इसका पाठ्यक्रम सुसंगित व भारत केन्द्रित होना चाहिए। गरीबों तक इसका लाभ पहुंचना चाहिए, ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हाने चाहिए।
केरल में वामपंथी हिंसा के खिलाफ निंदा प्रस्ताव
केरल के प्रदेश मंत्री पी.श्यामराज ने बताया कि केरल की वामपंथी सरकार बनने के बाद राजनीतिक विरोधियों का हिंसक दमन चल रहा है। वामपंथी कार्यकर्ता नृशंसता से विरोधियों की आवाज दबाना चाहते है। वहां की सरकार इस पर खामोश रहती है। विद्यार्थी परिषद ने केन्द्र सरकार से केरल में बिगड़ती कानून व्यवस्था के मद्देनजर हस्तक्षेप करने की मांग की है।
उन्होंने बताया कि केरल में शैक्षिक वातावरण भी ठीक नहीं है। परिसरों में अनेक खमियां है। लेकिन हमारी आवाज को दबाने का प्रयास किया जाता है। श्याम ने कहा कि जो अभी केरल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा सरेआम गाय काटने की निर्मम घटना और वामपंथियों द्वारा बीफ पार्टी आयोजित की गई वह जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को भड़काने के लिए आयोजित की गई थी। ऐसे पार्टियों से लोग आहत होते है इसी कारण हिंसा बढ़ जाती है।
अंग्रेजो ने गोहत्या को बढ़ावा दिया तथा इसे मुसलमान हिन्दुओं के बीच भेदभाव उत्पन्न करने का माध्यम बनाया। केरल में दो सौ स्थानों पर बीफ पार्टी की गई इसी से कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं की मानसिकता का अनुमान लगाया जा सकता है।कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों ने जानबूझकर हिंदुओं की भावनाएँ आहत की हैं।
इस दौरान राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैदराबाद की शोधार्थी शहजादी ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद संविधान पर पूरा विश्वास करती है। इसमें समानता की बात कही गयी है। तीन तलाक भेदभावपूर्ण है। यह मुस्लिम-महिलाओं के अधिकार का हनन करता है। अतः मुस्लिम महिलाओं के मांग के अनुसार इसे प्रतिबन्धित करना चाहिए। इसी प्रकार मुसलमानों को आरक्षण का भी विद्यार्थी परिषद विरोध करती है। कर्नाटक सहित जो राज्य सरकारें या पार्टियां इसकी मांग कर रहे हैं, वह ड्रामा से अधिक नहीं है।
मुसलमानों को शिक्षित करना होगा। गोवंश पर सरकार का फैसला सराहनीय है।
सेल टूर नामक एबीवीपी के कार्यक्रम के माध्यम से एक-दूसरे प्रदेशों की संस्कृतियों को जानने समझने का मौका मिलता है। खासकर पूर्वोत्तर के छात्र-छात्राएं एक माह के लिए यूपी व अन्य प्रदेशों में परिवारों में रहकर वहां के तौर तरीके सीखते हैं। परिषद पूर्वोत्तर के सभी प्रान्तों में राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रम भी चलाते हैं। जिससे देश विरोधी तत्वों के हौसले परास्त किये जा सके।