नई दिल्ली: राष्ट्रपति का पद भार ग्रहण करने के बाद मेरी यह केरल की दूसरी यात्रा है। परन्तु राष्ट्रपति के रूप में कोच्चि की यह मेरी पहली यात्रा है। विधि व्यवसायी होने के नाते मुझे केरल उच्च न्यायालय के हीरंक जयंती समारोह में हिस्सा लेने पर दो गुणी खुशी हुई है।
केरल उच्च न्यायालय का 60 वर्षों का गौरवशाली इतिहास रहा है। कुछ महान न्यायविदों ने केरल उच्च न्यायालय में न्यायधीशों के रूप में काम किया है। किसी भी उच्च न्यायालय में देश की प्रथम महिला न्यायाधीश के रूप अन्ना कैंडी की नियुक्त्िा 1959 में इस न्यायालय में हुई थी। नागरिकों के अधिकार और नागरिक स्वतंत्रताओं के प्रति संवेदनशीलता की दृष्टि से केरल उच्च न्यायालय को विशेष रूप से सम्मान दिया जाता रहा है।
न्यायपालिका देश के सर्वाधिक मूल्यवान और सम्मानित संस्थानों में से एक है। न्यायपालिका की निडरता और स्वत्रंता ने लोकतांत्रिक विश्व में भारत का सम्मान बढ़ाया है।
न्याय मिलने में देरी हमारे देश की ज्वलंत समस्याओं में से एक है। इसका सर्वाधिक नुकसान समाज के कमजोर और निर्धन वर्गों को होता है। न केवल यह महत्वपूर्ण है कि न्याय को लोगों की दहलीज तक पहुंचाया जाए बल्कि यह भी जरूरी है कि उसे उस भाषा में मुहैया किया जाये जिसमें मुकद्दमों से संबद्ध पक्ष उसे समझते हों। एक ऐसी प्रणाली अदालतों में शुरू करने की आवश्यकता है जिसमें अदालती निर्णयों के प्राधिकृत अनुदित संस्करण संबद्ध पक्षों को उपलब्ध कराना न्यायालय का दायित्व हो।
मैं इस अवसर पर केरल उच्च न्यायालय और राज्य के लोगों को विशेष रूप से शुभकामनाएं देना चाहूंगा। सभी न्यायाधीशों, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, बार के सदस्यों और अन्य हितभागियों को भी मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं।