लखनऊ| उत्तर प्रदेश की पूर्व सत्ताधारी बसपा सरकार के कार्यकाल में हुए करोड़ों रुपये के लैकफेड घोटाले में करीबन तीन साल की खींचतान के बाद लखनऊ की एक कोर्ट ने चार पूर्व मंत्रियों समेत सात आरोपियों को राहत दी है| दरअसल कोर्ट ने इन लोगों के खिलाफ जाँच एजेंसियों द्वारा पर्याप्त साक्ष्य पेश न किये जा सकने की दशा में सात लोगों को क्लीनचिट देते हुए बरी कर दिया है| कोर्ट ने बरी हुए पूर्व मंत्रियों में बाबू सिंह कुशवाहा, चंद्रदेव राम यादव, रंगनाथ मिश्रा, बादशाह सिंह का नाम शामिल है| इनके अलावा कोर्ट ने तीन अधिकारियों को भी बरी किया है, जिसमे पूर्व आईएएस अधिकारी रामबोध मौर्य हैं|
आपको बता दे कि माया सरकार में हुए इस कई सौ करोड़ रुपये के घोटाले की जांच में पुलिस कोऑपरेटिव सेल ने बसपा सरकार के कई मंत्रियों पर शिकंजा कसा था| इसी आरोप के चलते बादशाह सिंह और रंगनाथ मिश्रा को तो जेल की हवा भी खानी पड़ी थी| इस मामले में यूपी सरकार की जाँच एजेंसी ने चार पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा, रंगनाथ मिश्रा, चन्द्रदेव राम यादव और बादशाह सिंह समेत कई अधिकारियों पर लैकफेड घोटाले का आरोप लगा था|
मालूम हो कि बसपा कार्यकाल में लैकफेड को एक निर्माण एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया था| उस समय लैकफेड को राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, पंचायती राज, एनआरएचएम, आंगनबाड़ी विभाग समेत कई विभागों से निर्माण कार्य मिले थे| लैकफेड को पंचायती राज से लगभग 132 करोड़, बीआरजीएफ योजना में करीब 143 करोड़ का काम आवंटित किया गया था|
इसके अलावा इस निर्माण एजेंसी को राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश के कुल 14 जिलों में 25 स्कूलों का निर्माण करने का कार्य भी आवंटित किया गया था| हर स्कूल 58 लाख 12 हजार रुपए की लागत से बनना था| उस समय इस एजेंसी में जमकर धांधलेबाजी हुई थी और सरकारी कोष को लगभग 350 सौ करोड़ रुपये की चपत लगाईं गई थी|
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