देहरादून: उत्तराखण्ड कौशल विकास मिशन कार्यालय सभागार में प्रभारी सचिव कौशल विकास एवं सेवायोजन/सूचना डाॅ.पंकज कुमार पाण्डेय की अध्यक्षता में कौशल उत्तराखण्ड स्किल डेवलपमेंट पाॅलिसी 2018 की रूपरेखा विषयक बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में इन्डस्ट्री एसोसियेशन, सीआईआई, विभिन्न सैक्टर के उद्योगों के प्रतिनिधियों, विभागाध्यक्षों ने प्रतिभाग किया। सचिव(प्रभारी) कौशल विकास डाॅ.पाण्डेय ने कहा कि मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन द्वारा दिये निर्देश पर उत्तराखण्ड कौशल विकास पाॅलिसी 2018 की रूपरेखा निर्धारण के क्रम में इस बैठक का आयोजन किया गया है, जिसके प्रथम चरण में कौशल विकास से जुड़े उद्योगों के प्रतिनिधियों, विभागाध्यक्षों के साथ बैठक में सुझाव लिये जा रहे है। कौशल विकास नीति को प्रदेश के परिपेक्ष्य में सुसंगत बनाने के लिये सम्बन्धित विभागों, संस्थानों के सुझाव को शामिल किया जाना है। इसी क्रम में अगले चरण में बेरोजगार युवाओं, व्यवसायियों से भी सुझाव लिये जायेंगे। इसके पश्चात नीति को सचिव स्तरीय समिति में विचार-विमर्श के उपरांत कैबिनेट के समक्ष रखा जाना है। उन्होंने बैठक में प्रतिभाग कर रहे विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे बैठक में अपने से सम्बन्धित विचार-विमर्श को अपने विभाग में क्रियान्वित कराने हेतु गम्भीरता से कार्य करें, ताकि कौशल विकास नीति का लाभ प्रदेश के लोगों, विशेषकर बेरोजगार युवाओं एवं महिलाओं को मिल सके। उन्होंने कहा कि यह नीति एक मार्गदर्शन का कार्य करेंगी, जिसके अन्तर्गत विभाग अपने-अपने कार्य की प्रकृति के अनुसार कौशल विकास के कार्यक्रम चलायेंगे तथा अद्यतन प्रगति से कौशल विकास विभाग को अवगत करायेंगे, ताकि प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के कार्याें में दोहराव की स्थिति ना हो।
बैठक में कौशल विकास नीति की अवधारणा एवं उद्देश्य विषय पर चर्चा के दौरान प्रतिभागियोें द्वारा नीति में युवाओं में कौशल विकास के प्रति अभिरूचि पैदा करने के विषय को भी शामिल करने की बात हुई, जिस पर सचिव द्वारा नीति में शामिल करने के निर्देश दिये। नीति के मिशन विषय पर चर्चा के दौरान सचिव द्वारा युवाओं की अभिरूचि के अनुसार विभिन्न ट्रेडों में कौशल विकास के अवसर बढ़ाने जाने के निर्देश दिये गये। बैठक में यह भी तय किया गया कि कौशल विकास नीति में एक सलाहकार समिति के गठन का भी प्राविधान किया जाय। जिसमें विभिन्न उद्योगपतियों तथा तकनीकि विशेषज्ञों को शामिल किया जाय तथा विभिन्न उपक्रमों में प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को उद्योगों में अप्रेन्टिशिप में अधिक से अधिक अवसर दिलाने का भी प्राविधान नीति में किया जाय।
बैठक में यह भी बात प्रकाश में आयी, कि स्किल ट्रेनिंग प्रमोशन सेन्टर, ग्रामीण तथा दूरस्थ इलाकों में प्राथमिकता से संचालित किये जाय तथा राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों एवं पाॅलिटेक्निक संस्थानों में भी कौशल विकास केन्द्र का प्राविधान किया जाय, क्योंकि इनमें पूर्व से अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध है। सचिव कौशल विकास ने युवा व्यवसायियों को कौशल विकास की जानकारी सेवायोजना कार्यालयों से भी उपलब्ध कराने का प्राविधान नीति में शामिल करने के निर्देश दिये। डाॅ. पाण्डेय ने बताया कि वर्तमान में डोमेस्टिक सैक्टर में रोजगार की पर्याप्त संभावनाओं को देखते हुए लगभग 10 हजार लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। सुरक्षा सैक्टर में रोजगार की संभावना को देखते हुए नीति में सुरक्षा कौशल विकास को शामिल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश अवस्थित विभिन्न सैक्टर में कौशल विकास कार्य कर रहे प्राईवेट विशेषज्ञ प्रशिक्षण संस्थानों को भी भारत सरकार में सूचीबद्ध हेतु प्रेषित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि लगभग 45 ऐसे कौशल विकास केन्द्रों को सूचीबद्ध हेतु भारत सरकार को अनुमोदन हेतु भेजा गया है। उन्होंने उद्यमियों से अधिक से अधिक प्लेसमेंट का प्राविधान नीति में शामिल करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
इस अवसर पर कौशल विकास नीति के अन्य विषयों यथा एक प्रकार के योजनाओं का समन्वय, कौशल विकास केन्द्रों के सुदृढ़ीकरण, व्यवसायियों के काॅन्सलिंग, योजना अनुश्रवण एवं मूल्यांकन, स्थानीय परम्परिक उद्योगों में कौशल विकास प्रोत्साहन, गुणवत्ता सुनिश्चित, शिक्षा में कौशल विकास को विषय को शामिल करने आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई।
बैठक में एसोशियेशन आॅफ उत्तराखण्ड के अध्यक्ष श्री पंकज गुप्ता, सीआईआई की अधिशासी निदेशक सुश्री विभा मल्होत्रा, नोडल अधिकारी कौशल विकास मिशन/उपनिदेशक सेवायोजना सुश्री चन्द्रकान्ता, यूकेएसडीएम के उप कार्यक्रम समन्वयक श्री एसपी सचान, यूकेएसडीएम के समन्वयक शावेज सहित समस्त विभागाध्यक्ष के अधिकारी मौजूद थे।