17.4 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

क्या है स्तन कैंसर? जानिये

सेहत

आमतौर पर स्तन कैंसर, स्तन की वाहिकाओं (निप्पल तक दूध पहुँचानेवाली वाहिकाएं) और परलिकाएं (लोबस) (वाहिकाएं जो दूध बनाती हैं) में अनियंत्रित वृद्धि के कारण होता है। यह पुरुष और स्त्री दोनों को हो सकता है, हालांकि यह रोग पुरुषों को विरले ही होता है।

स्तन कैंसर कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि : 
डक्टल कार्सिनोमा: वाहिकाओं से होने वाला कैंसर।
लॉबुलर कार्सिनोमा: लॉबुलर से होने वाला कैंसर।
1. लक्षण-
स्तन कैंसर का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण स्तन में गांठ होना हैं, जो कि स्तन के बाकी हिस्सों के ऊतकों से अलग प्रतीत होता है।
गांठ के अलावा, स्तन कैंसर के निम्नलिखित लक्षण भी शामिल हो सकते हैं:
  • स्तन का अधिक मोटा, बड़ा अथवा छोटा होना।
  • निप्पल की स्थिति अथवा आकर में बदलाव होना अथवा निप्पल का अंदर की ओर मुड़ना (उलटा होना)।
  • स्तन में सिकुड़न अथवा गड्ढा होना।
  • निप्पल के आसपास रैश (फुंसी या ददोरा)।
  • बगल अथवा स्तन के हिस्से में लगातार दर्द के साथ निपल से द्रव का निकलना।
  • बगल के नीचे या कंधे के चारों ओर सूजन होना।

कारण- 

स्तन कैंसर होने के सही कारण अभी ज्ञात नहीं है, लेकिन इस रोग के साथ जुड़े जोखिम के कारक निम्नलिखित हैं:
    1. आयु: स्तन कैंसर होने का ज़ोखिम आयु के साथ बढ़ता है। यह पाया गया है कि स्तन कैंसर का ख़तरा पचास वर्ष की आयु से अधिक आयु वर्ग की महिलाओं को ज़्यादा होता है अर्थात् जिन महिलाओं को रजोनिवृत्ति हो चुकी हैं।
    2. एस्ट्रोजन का स्तर: जब शरीर उच्च स्तर पर एस्ट्रोजन का उत्सर्जन करता है। ऐसा जल्दी मासिक धर्म के आरंभ और देर से रजोनिवृत्ति होने के लिए कारण हो सकता है। इसके अलावा बच्चा न होना अथवा बच्चों के देर से पैदा होने के कारण भी स्तन कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है। गर्भावस्था के दौरान शरीर से एस्ट्रोजन का उत्सर्जन निरंतर होता है।
    3. परिवार का इतिहास: यदि परिवार के किसी सदस्य में, डिम्बग्रंथि के कैंसर अथवा स्तन कैंसर का इतिहास रहा है, तो भविष्य में पारिवारिक सदस्यों में भी स्तन कैंसर विकसित होने का ख़तरा अधिक हो सकता है। विशेष जीनस, जिसे बीआरसीए १ और बीआरसीए २ के रूप में जाना जाता है। यह जीनस स्तन कैंसर विकसित होने के ख़तरे को अधिक बढ़ाता है। इस जीनस की माता-पिता से उनके बच्चों में प्रसारित होने की संभावना ज़्यादा होती हैं। तीसरा जीन (टीपी ५३) भी स्तन कैंसर विकसित होने के ख़तरे के साथ जुड़ा हुआ है।
    4. अल्कोहल: स्तन कैंसर विकसित होने का ख़तरा अल्कोहल का सेवन करने के साथ जुड़ा हुआ है।
    5. धूम्रपान: धूम्रपान भी स्तन कैंसर विकसित होने के ख़तरे के साथ जुड़ा हुआ है।
    6. विकिरण: निश्चित चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे कि एक्स-रे और सीटी स्कैन के उपयोग द्वारा उत्पन्न होने वाली विकरण, स्तन कैंसर विकसित होने के खतरे को बढ़ा सकती है।

निदान-

अपने चिकित्सक से संपर्क करें: यदि स्तन के रंग, आकार अथवा गांठ में किसी भी तरह के बदलाव के लक्षण दिखाई देते है, तो आपको तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
इमेजिंग: मैमोग्राफी और स्तन के अल्ट्रासाउंड स्कैन का उपयोग भी स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए किया जाता है। अल्ट्रासाउंड की उच्च आवृत्ति ध्वनि तरंगों के उपयोग द्वारा स्तनों के अंदर की छवि का निर्माण किया जाता हैं। यह छवि आपके स्तनों में मौजूद किसी भी गांठ या असामान्यता की जानकारी देती है। यदि आपके स्तन में किसी ठोस या तरल पदार्थ के बारें में जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता है, तो आपका चिकित्सक आपको स्तन अल्ट्रासाउंड करने की सलाह दे सकता हैं।
सूक्ष्म विश्लेषण: आमतौर पर बायोप्सी तब की जाती है, जब मैमोग्राम तथा अन्य इमेजिंग परीक्षण अथवा शारीरिक परीक्षण द्वारा स्तन में परिवर्तन (या असामान्यता) पाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता हैं क्योंकि संभवतः कैंसर हो सकता है। वास्तव में किसी को स्तन कैंसर हैं, इसकी पुष्टि का माध्यम केवल बायोप्सी परीक्षण है।

प्रबंधन-

स्तन कैंसर हेतु मुख्य उपचार की आवश्यकता हैं:
सर्जरी: आमतौर पर सर्जरी का उपयोग शरीर से ट्यूमर को प्रत्यक्ष निकालने के साथ-साथ आसपास के कुछ ऊतकों को निकालने के लिए भी किया जाता हैं।
रेडियोथेरेपी: रेडियोथेरेपी का उपयोग सर्जरी के बाद ट्यूमर की सतह और क्षेत्रीय लिम्फ नोड्स में उपस्थित सूक्ष्म ट्यूमर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता हैं। इस तरह दोबारा कैंसर होने और उसकी वज़ह से होने वाली सर्जरी से बचा जा सकता हैं।
कीमोथेरेपी: आमतौर पर एस्ट्रोजन रिसेप्टर निगेटिव (ईआर), बीमारी के चरण दो और चरण चार में विशेष रूप से लाभप्रद होता हैं। आमतौर पर इस पद्यति का उपयोग तीन से छह महीनों तक ही किया जा सकता है।
रोकथाम-
  1. सभी आयु वर्ग की महिलाओं को नियमित व्यायाम और स्वस्थ आहार का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
  2. जो महिलाएं बच्चों को स्तनपान करवाती हैं, उनमें स्तन कैंसर विकसित होने की संभावना, स्तनपान न करवाने वाली महिलाओं की तुलना में बेहद कम होती हैं। अभी तक स्तन कैंसर होने के कारण पूरी तरह से समझ में नहीं आएं हैं, लेकिन यह नियमित रूप से महिलाएं के अंडोत्सर्ग उत्सर्जन नहीं करने के कारण होता है। जब वे स्तनपान करवाती है तब एस्ट्रोजन का स्तर स्थिर रहता हैं।
  3. स्तन आत्म परीक्षण (बीएसई) नियमित किए जाने वाला परीक्षण है, जिसे प्रत्येक महीने होने वाली शारीरिक जाँच के साथ आसानी से किया जा सकता हैं, जिससे स्तन में किसी भी तरह की गांठ अथवा अन्य परिवर्तन हेतु जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More