‘लाल बजरी (रेड क्ले) बादशाहों की परवाह नहीं करती।’ इस पंचलाइन के साथ फ्रेंच ओपन-2017 का आगाज हुआ था। अब बारी है मेन्स फाइनल मुकाबले की। रविवार को खिताब अपने नाम करने के लिए आमने-सामने होंगे राफेल नाडाल और स्टान वावरिंका। पहली शर्त भी होगी लाल बजरी यानी रेड क्ले कोर्ट का सम्मान।
दरअसल टेनिस में ग्रास कोर्ट, कारपेट कोर्ट और हार्ड कोर्ट पर खेलना और रेड क्ले कोर्ट पर खेलना पूरी तरह अलग और चुनौतीपूर्ण होता है। यही कारण है कि रोलैण्ड गैरोस यानी फ्रेंच ओपन की अलग प्रतिष्ठा कायम है। क्ले कोर्ट धीमे माने जाते हैं। यहां पर गेंद ऊंची उछलती है, लेकिन धीमी रफ्तार से। इस वजह से शॉट्स खेलना और टाइमिंग सेट करना मुश्किल होता है।
बहरहाल निगाहें अब स्पेन के राफेल नाडाल और स्विट्जरलैंड के स्टान वावरिंका पर टिकी होंगी। नाडाल ने सेमीफाइनल में डॉमिनीक थीम को 6-3, 6-4, 6-0 से हराया। जबकि वावरिंका ने सेमीफाइनल में दिग्गज एंडी मरे को 6-7, 6-3, 5-7, 7-6, 6-1 से हराया। नाडाल को थीम के खिलाफ भले ही सीधे सेटों में जीत हासिल हुई, लेकिन सर्विस में उनकी समस्या साफ तौर पर सामने आई। वहीं वावरिंका ने साल 2013 के बाद से अपने खेल में लगातार सुधार किया है। ऐसे में इस मुकाबले को कतई एकतरफा नहीं कहा जा सकता।
धोखा दे सकते हैं आंकड़े
नाडाल और वावरिंका की टक्कर में आंकड़े 15-3 से नाडाल के पक्ष में हैं। लेकिन इस एकतरफा दिखते आंकड़े का एक पहलू और भी है। साल 2013 के पहले तक नाडाल ने वावरिंका के खिलाफ लगातार 12 मैच जीते। लेकिन इसके बाद से जो छह मैच हुए, उनमें रिकॉर्ड 3-3 से बराबर रहा। फर्क साफ दिख रहा है। वावरिंका 2014 ऑस्ट्रेलियन ओपन में भी नाडाल को हरा चुके हैं।
फ्रेंच ओपन में रिकॉर्ड
राफेल नाडाल को ‘किंग ऑफ क्ले’ यूं ही नहीं कहा जाता। अपने करियर में वो नौ बार फ्रेंच ओपन का खिताब जीत चुके हैं। साल 2005, 2006, 2007, 2008, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014 में क्ले कोर्ट पर राज किया। वहीं वावरिंका ने साल 2015 में पहली और एकलौती बार फ्रेंच ओपन जीता।
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