नई दिल्लीः केन्द्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री विजय गोयल ने कहा कि डॉपिंग के खिलाफ हम ज़ीरो टोलरेंस नीति का पालन करते हैं और हमें स्वच्छ खेल को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। डॉपिंग के खिलाफ नियमों पर चर्चा करने के लिए विज्ञान भवन में आज आयोजित सलाहकार समिति की बैठक में उद्घाटन भाषण देते हुए खेल मंत्री ने कहा कि इस दिशा में डॉपिंग के खतरे से छुटकारा पाने के लिए हमें निवारक और उपचारात्मक उपायों पर चर्चा करने की आवश्यकता है। श्री गोयल ने इस दिशा में पर्याप्त उपाय अपनाने के क्रम में समर्थन करने का आश्वासन दिया।
खेल विभाग के सचिव श्री इनजेती श्रीनिवास ने अपने मुख्य भाषण में स्वच्छ एथलीटों के लिए उचित सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि खेल व्यवस्था में सुधार समय की मांग है। उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जब किसी एथलीट के शरीर में निषिद्ध पदार्थ पाया जाता है तो उसे विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, ऐसे में एथलीट की सहायता में कार्यरत कर्मियों की गतिविधियों को भी नियंत्रित करने की ज़रूरत है, क्योंकि कई मामलों में एथलीट को डॉपिंग के जाल में फंसाने के लिए ये लोग ही ज़िम्मेदार होते हैं।
सलाहकार समिति की यह बैठक राष्ट्रीय एंटी डॉपिंग एजेंसी (एनएडीए) की ओर से बुलाई गई थी। एनएडीए की वर्तमान वर्ष में खिलाड़ियों के परीक्षणों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि करने को लेकर महत्वाकांक्षी योजना है। परीक्षणों की गुणवत्ता में सुधार के चलते डॉपिंग के मामलों के सामने आने का प्रतिशत 2.25 से बढ़कर 3.50 हो गया है।
हाल के कुछ वर्षों में, एनएडीए ने डॉपिंग के खिलाफ खिलाड़ियों को शिक्षित एवं जागरूक करने के लिए कई कारगर कदम उठाए हैं। यह प्रयास केवल राष्ट्रीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) के प्रशिक्षण केन्द्रों में ही नहीं, बल्कि विभिन्न संघों द्वारा राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों एवं विश्वविद्यालयों में होने वाले खेलों के लिए भी किए गए हैं। प्रत्येक राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के दौरान, प्रत्येक एथलीट से लिखित रूप में एक वचन (अंडरटेकिंग) लिया जा रहा है कि वे डॉपिंग के सभी दुष्प्रभावों से परिचित हैं और किसी भी हाल में डॉपिंग में शामिल नहीं होंगे।
एनएडीए के महानिदेशक श्री नवीन अग्रवाल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि बाज़ार में वर्तमान में उपलब्ध पोषक तत्वों में कोई भी लेबल नहीं है, जोकि एथलीट के लिए सूचित विकल्प बनने में मदद कर सकता है। बाज़ार में बिना परामर्श के मिलने वाली दवाएं एक अन्य मुद्दा है। डॉपिंग का सहारा लेकर सशस्त्र बलों एवं पुलिस सेवाओं में शारीरिक रूप से अयोग्य व्यक्तियों की भर्ती की चुनौतियों पर भी उन्होंने प्रकाश डाला।
आज की बैठक में विभिन्न हितधारकों द्वारा विस्तृत चर्चा की गई। इस दौरान बैठक में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो, स्वापक नियंत्रक ब्यूरो (नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो), इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनॉलॉजी एंड फोरेंसिक साइंस, फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारी एवं विभिन्न संघों तथा खेल इकाइयों के प्रतिनिधि, एथलीट, चिकित्सा पेशेवर और खेल प्रशासन के लोग मौजूद थे।