खेल के कुछ क्षेत्रों में हितों के टकराव के चलते खेल पर्यवेक्षकों की नियुक्ति और उनकी भूमिका के बारे में मीडिया के एक वर्ग में कुछ रिपोर्ट आई हैं।
युवा मामले और खेल राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री विजय गोयल ने यह दोहराया है कि पहली बार खेलों के विकास के लिए मंत्रालय द्वारा 12 अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाडि़यों को राष्ट्रीय पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। ये राष्ट्रीय पर्यवेक्षक मंत्रालय द्वारा उन्हें दिये गये दिशा-निर्देशों और भूमिका के अनुसार अपना कार्य कर रहे हैं। श्री गोयल ने आगे बताया कि उनकी भूमिका राष्ट्रीय पर्यवेक्षक के रूप में उनकी नियुक्ति के समय ही बता दी गई थी। दिए गए आदेश के अनुसार उन्हें सौंपी गई जिम्मेदारी इस प्रकार हैं-
- राष्ट्रीय टीमों के चयन की निगरानी करना और निष्पक्ष तथा पारदर्शी चयन को और मजबूत बनाने के बारे में सुझाव देना।
- राष्ट्रीय कोचिंग शिविरों के स्थलों पर मौजूदा खेल अवसंरचना/उपकरण, वैज्ञानिक बैकअप की गुणवत्ता और चिकित्सा सुविधाओं की गुणवत्ता का आकलन करना।
- भारतीय और विदेशी कोचों के कार्य प्रदर्शन की निगरानी, विश्लेषण और समीक्षा करना तथा इस बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करना।
- व्यक्तिगत एथलीटों के साथ-साथ कोचों के कार्य प्रदर्शन पर आधारित डाटा बेस का रख-रखाव करना और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय टीम के प्रदर्शन में सहायता करने के अलावा सब-जूनियर और जूनियर स्तर के एथलीटों पर विशेष ध्यान देते हुए विदेशी प्रशिक्षण तथा प्रतियोगिता के बारे में एथलीटों की प्रशिक्षण जरूरतों के बारे में सुझाव देना।
- खिलाडि़यों और अन्य हितधारकों से प्राप्त शिकायतों की जांच करना और उन्हें दूर करने के लिए संबंधित एनएसएफ के पास मामले को ले जाना तथा मंत्रालय को रिपोर्ट भेजना।
- एसीटीसी तैयार करने और उन्हें अंतिम रूप देने में एनएसएफ/राष्ट्रीय खेल संवर्धन संगठनों/ साई की सहायता करना।
- आवश्यक होने पर अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय टीम के साथ जाना।
राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की उपरोक्त परिभाषित भूमिका के आलोक में यह आशंका निराधार है कि किसी राष्ट्रीय पर्यवेक्षक के कर्तव्यों में हितों का कोई टकराव है।