नई दिल्ली: गंगा विधेयक 2017 के मसौदे के प्रावधानों पर मंथन के लिए गठित समिति की पहली बैठक आज नई दिल्ली में आयोजित हुई। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक श्री उदय प्रताप सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में गंगा विधेयक के मसौदे से जुड़े विभिन्न पहलुओं, परिभाषाओं और अध्यायों पर मंथन किया गया। बैठक में मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री संजय कुंडु, मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता श्री पुरूशैन्द्र कौरव तथा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अरूण कुमार गुप्ता ने भाग लिया। जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय ने ‘राष्ट्रीय नदी गंगा (पुर्नरूद्धार, संरक्षण और प्रबंधन) विधेयक 2017’ के मसौदे के विभिन्न प्रावधानों पर विचार-विमर्श के लिए इस समिति का गठन किया है। इस विधेयक के तहत गंगा नदी की निर्मलता एवं अविरलता को नुकसान पहुंचाने वालों पर जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है। यह समिति कृषि, घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए पानी की मांग के चलते गंगा नदी पर बढ़ते दबाव एवं उसकी धारा की निरंतरता को बनाए रखने जैसी चुनौतियों पर भी विचार कर रही है।
उल्लेखनीय है कि देश में इस तरह के विधेयक के लिए पहली बार प्रयास हो रहा है जिसके तहत गंगा नदी के संरक्षण और सुरक्षा के लिए अत्याधिक कठोर प्रावधान किए जाएंगे। विधेयक में गंगा नदी से जुड़े उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों और राष्ट्रीय हरित अभिकरण द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्णयों को भी समाहित किया गया है। इस प्रस्तावित विधेयक का मसौदा इस प्रकार तैयार किया जा रहा है कि यह आने वाले दिनों में देश की अन्य नदियों की सुरक्षा, संरक्षण और विकास के लिए एक आदर्श विधेयक साबित हो।
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने जुलाई 2016 में नदी गंगा की निर्मलता और अविरलता को बनाए रखने के लिए इस विधेयक के मसौदे को तैयार करने के लिए न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) गिरिधर मालवीय की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। समिति ने इस विधेयक का मसौदा 12 अप्रैल, 2017 को केंद्रीय जल संसाधन, गंगा सरंक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती को सौंपा था।
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