नई दिल्ली: सूचना और प्रसारण मंत्री श्री वेंकैया नायडू ने संसद पुस्तकालय हेतु संपूर्ण गांधी वांङ्मय के 100 खंड माननीय लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन को सौंपे।
इस अवसर पर माननीय लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान गांधी जी के सरल संदेश ने आम लोगों को आंदोलन से जुड़ने के लिए प्रेरित किया और उनमें राष्ट्र की एकता और अखंडता के प्रति सम्मान का भाव जगाया। राष्ट्र सेवा के उनके दर्शन ने वैश्विक समुदाय को भी प्रभावित किया। महात्मा गांधी वाङ्मय के 100 खंड ग्रहण करते हुए श्रीमती महाजन ने कहा कि इन ग्रंथों को संसद में रखा जायेगा ताकि सांसद इस धरोहर साहित्य का अनुशीलन कर सकें। माननीय अध्यक्ष ने इन ग्रंथों के प्रकाशन और सरकार के विकास के एजेंडे पर अमल करने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की।
इस अवसर पर श्री वेंकैया नायडू ने कहा कि कहा कि महात्मा गांधी की रचनाओं ने सत्य एवं अहिंसा के नैतिक सिद्धांतों के बल पर स्वंत्रता आंदोलन को प्रेरित किया। उन्होंने महात्मा गांधी के इस कथन का हवाला दिया कि ”मेरा जीवन एक खुली किताब है, जिसे कोई भी पढ़ सकता है।” उन्होंने कहा कि संपूर्ण गांधी वांङ्मय राष्ट्रपिता के जीवन और उनकी शिक्षाओं के अध्ययन का अवसर प्रदान करता है। श्री वेंकैया नायडू ने कहा कि महात्मा गांधी के विचारों और उनकी रचनाओं को संजो कर रखना और भावी पीढि़यों को सौंपना हमारा दायित्व है।
श्री नायडू ने कहा गया कि संपूर्ण गांधी वांङ्मय (सीडब्ल्यूएमजी) गांधी जी के विचारों का एक स्मारक दस्तावेज है, जो महात्मा गांधी ने 1884 से, जब उनकी आयु 14 वर्ष थी, से लेकर 30 जनवरी, 1948 को अपनी शहादत के समय तक व्यक्त किए। विश्वभर में फैली उनकी रचनाएं बड़ी मेहनत के साथ एकत्र की गई और उनको शैक्षिक रूप में संयोजित करते हुए ग्रंथों का रूप दिया गया। उन्होंने कहा कि ये ग्रंथ महात्मा गांधी के उन विचारों और आदर्शों का प्रतिरूप हैं, जिनका अनुपालन उन्होंने अपने जीवन में किया और जो आज हम सब को प्रेरित करते हैं। प्रत्येक खंड अपने आप में एक धरोहर सीरीज है, जिसमें उनके भाषणों, टिप्पणियों, पत्रों आदि की परिश्रमपूर्वक पुन संरचना की गई है। इनमें विभिन्न विषयों-जैसे व्यक्तिगत, सामाजिक और राजनीतिक आदि के बारे में गांधी जी के विचार संकलित किए गए हैं।
‘द सीडब्ल्यूएमजी-ओर्जिनल-केएस-एडिशन’ का नामकरण मूल सीरीज के रचयिता प्रो. के. स्वामीनाथन के नाम पर किया गया है, जिसके प्रकाशन में 1956 से 1994 तक 38 वर्ष लगे। मूल संस्करण 100 खंडों की सीरीज है, जिसमें 55000 पृष्ठ हैं। सीडब्ल्यूएमजी के मूल केएस संस्करण के आधार पर डिजिटल मास्टर कॉपी तैयार करने का कार्य विशेष रूप से स्थापित किए गए सीडब्ल्यूएमजी सेल और गांधीवादी विद्वानों की एक समिति के जरिए किया गया। यह कार्य प्रकाशन विभाग और गुजरात विद्यापीठ अहमदाबाद के बीच एक समझौता ज्ञापन के तहत पूरा किया गया। इस पीठ की स्थापना स्वयं गांधी जी ने की थी।
अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम प्रिजर्वेशन एंड मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा संचालित गांधी हेरिटेज पोर्टल पर डिजिटल मास्टर कॉपी भी उपलब्ध करायी गई है। संपूर्ण गांधी वाङ्मय के सभी खंड अब ऑन लाइन खरीद पर उपलब्ध हैं, और प्रत्येक खंड का मूल्य नाम मात्र के लिए रुपये 100 रखा गया है। मूल्य निर्धारित करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि विश्वभर में गांधी साहित्य प्रेमियों के लिए उसे वहन करना सुगम हो। सभी 100 खंडों का मूल्य 25 प्रतिशत डिस्काउंट के साथ रु. 7500/- रखा गया है।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत एक प्रचार इकाई, प्रकाशन विभाग देश की समृद्ध धरोहर के संरक्षण के अपने लक्ष्य के अंतर्गत गांधी वाङ्मय के प्रमुख प्रकाशकों में से एक है। इस विभाग ने पिछले कई दशकों के दौरान गांधी वाङ्मय के कई प्रमुख ग्रंथ प्रकाशित किए हैं, जो अब धरोहर साहित्य का दर्जा प्राप्त कर चुके हैं और गांधी अध्ययन के क्षेत्र में मौलिक कार्य समझे जाते हैं।