देश में बढती हुई गुंडा गर्दी को देखते हुए भारत सरकार की ओर से ऐसे अपराधियों को पकडने के लिए गंुड एक्ट नाम से जो नया कानून बनाना पडा वह इस प्रकार है-
यह कोई भी व्यक्ति रह चलती लडकियो या औरतों के साथ छेडखानी करता हो, अथवा उनमें ताने कसें, व्यंग करें, आम बजारों में छेडखानी करे या लोगों को डरायें, धमकाये या सरे बजार झगडा करे या नशीली वस्तुओं का व्यापार करता हों अथवा खुले आम झगडा करें तो वह गंुड एक्ट का आपराधी है। इस अपराध के लिए छः माह की सजा अथवा एक हजार रूपये जुर्माना तक हो सकता है।
गुंडा अध्यादेश
यह कानून अपराधों को काम किये जाने के लिए बनाया गया है। 1986 मे गुंडा अध्यादेश की धारा 213 के अन्तर्गत माफिया दल चलने वाले तथा उनके सहायकों को इस एक्ट में पकडा जा सकता है। पकडे जाने वाले का पिछला सारा रिकार्ड देख कर यादि रिकार्ड अपराधी जीवन का है तो नौ वर्ष तक उसकी जमानत नहीं हो सकती और यदि उसका अपराध साबित हो जाता है तो दस साल कठोर जेल की सजा हो सकती है।
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