16 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

गुजरात में 24 घंटे बिजली सप्लाई के लिए ये था CM मोदी का सुपरप्लान

देश-विदेश

1. बिजली बोर्ड की लीडरशिप में फेरबदल:

राज्य में बिजली पॉवर सेक्टर की समस्याओं से निपटने के लिए सबसे पहले सीएम मोदी ने उप्युक्त ब्यूरोक्रेट की तलाश कर उसे कमान सौंपी, मोदी ने गुजरात कैडर की अधिकारी मंजुला सुब्रमण्यम, जो उस समय प्रधानमंत्री कार्यालय में तौनात थी और देश में उदारीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी थीं, को वापस गुजरात बुलाकर जीएसईबी की कमान सौपी।

2. घर दुरुस्त करने की कवायद:
सीएम मोदी से काम करने की स्वायत्ता मिलने के बाद मंजूला ने सबसे पहले प्रदेश में बिजली के पूरे सिनारियो का रिसर्च किया, इसके बाद मंजुला ने इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड की वित्तीय हालत को सुधारने और बिजली विभाग के कर्मचारियों के हौसले को बुलंद करने की कोशिश की।

3. ब्याज दर में कमी और निजी कंपनियों से करार की समीक्षा:
मोदी के नेतृत्व में मंजूला ने सबसे पहले उन बैंकों को साधा जो जीएसईबी को महंगा लोन दे रहे थे, जीएसईबी लोन पर 18 फीसदी के ब्याज के बोझ तले दबा था, उन सभी बैंको को ब्याजदर कम करने के लिए तैयार कर लिया गया और इसके चलते 2002-03 में जीएसईबी ने 500 करोड़ रुपए से अधिक की बचत की।

4. फिर विवादों से हुआ सामना:
मोदी और मंजुला की कोशिशों के बाद मजबूत हो चुके इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड ने फिर सबसे विवादास्पद पहलू से सामना किया, आजतक किसी सरकार ने प्राइवेट उत्पादकों से बिजली खरीदने के करारों की समीक्षा नहीं की थी, लेकिन मोदी की अगुवाई में गुजरात बोर्ड ने पाया की कंपनियों ने जनरेटर एफिशिएंसी को बढ़ा-चढ़ा कर आंका था और सरकार से ज्यादा पैसा वसूल रहे थे, शुरुआत में प्राइवेट कंपनियों से दाम कम कराने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन 18 तक महीने तक चली बातचीत के बाद गुजरात बोर्ड ने न सिर्फ दाम कम कराया बल्कि इससे वित्त वर्ष 2002-03 में 685 करोड़ रुपए और 2003-04 में 1000 करोड़ रुपए की बचत भी कर ली।

5. बिजली चोरी के खिलाफ लाया गया कड़ा कानून:
जीएसईबी के मुताबिक 2001 में गुजरात के शहरी इलाकों में 20 फीसदी और ग्रामीण इलाकों में 80 फीसदी बिजली का इस्तेमाल चोरी का सहारा लेकर होता था, इस चोरी को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए गए और प्रदेश में पांच विशेष पुलिस स्टेशन चिन्हित किए गए जिनका काम सिर्फ इस चोरी पर लगामा लगाना था।

6. राज्य में 24 घंटे बिजली सप्लाई में गेमचेंजर बना ये कदम:
राज्य में मोदी सरकार बनने से पहले इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के पास बिजली चोरी को रोकने का कोई कारगर तरीका नहीं था, लिहाजा मंजुला ने बिजली चोरी पर लगाम लगाने के लिए पूरे राज्य में डबल फीडर लाइन के निर्माण कार्य को युद्धस्तर पर शुरू कर दिया, इसके बाद सरकार ने सबसे महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ग्रामीण इलाके को बिजली सप्लाई करने वाली फीडर लाइन को दो भागों में बांट दिया। पहले एक ही फीडर लाइन से ग्रामीण इलाकों में खेती और घरों में बिजली की सप्ला ई होती थी और इसके चलते चोरी की वारदात कई गुना बढ़ जाती थी, आईआईएम अहमदाबाद के मुताबिक इस प्रोजेक्ट से राज्य की मोदी सरकार ने 23,000 करोड़ रुपए के कैपिटल एक्सपैंडीचर की बचत भी कर ली।

7. इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड को 7 कंपनियों में तोड़ दिया गया:
मई 2003 में मोदी सरकार ने गुजरात इलेक्ट्रिसिटी इंडस्ट्री एक्ट पारित किया, और सात कंपनियों में बांट दिया. होल्डिंग कंपनी, पॉवर जेनरेशन कंपनी, पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी और चार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी जिसके चलते बोर्ड के मैनेजमेंट में सहूलियत मिली और कामकाज और प्रभावी ढंग के किया जाने लगा।

8. तीन से चार साल बाद गुजरात को मिला परिणाम:
मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदम का नतीजा वित्त वर्ष 2005-06 में मिला, गुजरात बोर्ड ने पहली बार 203 करोड़ रुपए का मुनाफा घोषित किया. यह मुनाफा 2010-11 तक बढ़कर 533 करोड़ रुपए पर पहुंच गया, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन में नुकसान को 20 फीसदी पर सीमित कर लिया गया, वहीं सरकार की कोशिशों के चलते प्रदेश में बिजली बिल का भुगतान लगभग 100 फीसदी हो गया।

9. पॉवरप्लान का नतीजा:
अब आलम ये है कि निजी कंपनियां नए प्रोजेक्ट्स लगाने के लिए कतार में खड़ी हैं, राज्य में फिलहाल कुल बिजली उत्पादन 16 हजार मेगावॉट से अधिक है, इसमें निजी कंपनियां 8,000 मेगावाट बिजली दे रही हैं और लगभग 2200 मेगावाट अतिरिक्त बिजली का उत्पादन हो रहा है जिसे दूसरे राज्यों को मार्केट रेट पर बेचा जा रहा है।

साभार: आजतक इनटुडे

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More