नई दिल्लीः केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने नई दिल्ली में वर्ष 2016-17 के लिए उच्च शिक्षा पर 8वां अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) जारी किया। इस अवसर पर उन्होंने वर्ष 2017-18 के लिए सर्वेक्षण का भी शुभारंभ किया।
इस अवसर पर श्री प्रकाश जावडेकर ने सूचित किया कि समग्र नामांकन वर्ष 2010-11 के 27.5 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2016-17 में 35.7 मिलियन हो गया और इसके साथ ही सकल नामांकन अनुपात (जीईआर), जो उच्च शिक्षा में नामांकन और पात्र आयु वर्ग (18-23 साल) वाली आबादी का अनुपात है, भी वर्ष 2010-11 के 19.4 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2016-17 में 25.2 प्रतिशत हो गया जो कि एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि 30 प्रतिशत का जीईआर अनुपात वर्ष 2022 तक हासिल हो जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि छात्र-छात्रा समानता सूचकांक (जीपीआई), जो महिला और पुरुष के आनुपातिक प्रतिनिधित्व का अनुपात है, इसी अवधि में 0.86 से सुधर कर 0.94 के स्तर पर पहुंच गया है। मंत्री महोदय ने घोषणा की कि छात्राओं को और ज्यादा बढ़ावा देने के लिए आईआईटी में एक अतिरिक्त कोटा जोड़ दिया जाएगा।
श्री जावड़ेकर ने बताया कि एआईएसएचई पोर्टल में सूचीबद्ध उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है जो वर्ष 2010-11 के 621 विश्वविद्यालयों से बढ़कर वर्ष 2016-17 में 864 विश्वविद्यालयों के स्तर पर पहुंच गई है और वर्ष 2010-11 के 32, 974 कॉलेजों से बढ़कर वर्ष 2016-17 में 40,026 कॉलेजों के स्तर पर जा पहुंची है।
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के लिए सरकार का दृष्टिकोण तीन महत्वपूर्ण पहलुओं यथा गुणवत्ता, स्वायत्तता और शोध एवं नवाचार पर आधारित है। मंत्री महोदय ने कहा कि किसी भी नीति के सफल नियोजन एवं कार्यान्वयन के लिए हमें सही जानकारी और वास्तविक समय पर सर्वेक्षण की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने इस कार्य में शामिल पदाधिकारियों की सराहना की।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय और जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. सत्य पाल सिंह और उच्च शिक्षा विभाग में विशेष सचिव श्री आर. सुब्रमण्यम भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
उच्च शिक्षा पर एक मजबूत डेटा-बेस तैयार करने के उद्देश्य से वर्ष 2011 में यह सर्वेक्षण शुरू किया गया था। पहले ही वर्ष के दौरान एकत्रित आंकड़ों की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में डेटा संग्रह के लिए हर साल इस तरह का सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया। अब तक वर्ष 2010-11 से लेकर वर्ष 2016-17 तक के सर्वेक्षण पूरे हो गए हैं और एआईएसएचई की सभी रिपोर्ट मंत्रालय की वेबसाइट (www.hrd.gov.in) पर ‘सांख्यिकी’ मेन्यू के अंतर्गत उपलब्ध हैं।
सर्वेक्षण में विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और एकल (स्टैंड-अलोन) संस्थानों सहित देश भर के लगभग सभी उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआई) को कवर किया गया है। प्रत्येक संस्थान की ओर से चिन्हित किए गए नोडल अधिकारी ही एआईएसएचई पोर्टल पर एक सुरक्षित माहौल में डेटा को एकत्रित और अपलोड करने के लिए मुख्य रूप से जवाबदेह हैं। इस प्रणाली की सही और पूरी तस्वीर पेश करने के लिए इतने बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण हेतु बहुत अधिक प्रयास करने की जरूरत है, ताकि भविष्य की नीतियों को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों को भी प्रासंगिक आंकड़े उपलब्ध कराए जा सकें।
यह सर्वेक्षण इस मायने में भी अनोखा है कि यह राज्य सरकारों, नियामक वैधानिक प्राधिकरणों और भारत सरकार के मंत्रालयों के बीच एक सहभागितापूर्ण प्रयास है। सर्वेक्षण के तहत उत्तरदायी संस्थानों से सीधे ऑनलाइन आंकड़े संकलित किए जाते हैं और फिर उनका समुचित प्रबंधन किया जाता है। सर्वेक्षण के तहत डेटा संग्रह की मुख्य जानकारियों में बुनियादी या मूल विवरण, कार्यक्रम विवरण, शिक्षण एवं गैर-शिक्षण स्टाफ, विद्यार्थियों का नामांकन, परीक्षा परिणाम, बुनियादी ढांचा, छात्रवृत्तियां और विदेशी छात्र, इत्यादि शामिल हैं। एआईएसएचई डेटा ही ‘नो योर कॉलेज’ पोर्टल के लिए जानकारी का मुख्य स्रोत है।
पोर्टल आधारित सर्वेक्षण की शुरुआत होने के साथ ही रिपोर्ट पेश करने में लगने वाला समय अंतराल घटकर न्यूनतम हो गया है। देश भर में स्थित सभी संस्थानों से सर्वेक्षण में भाग लेने और प्रासंगिक डेटा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जाता है।
‘एआईएसएचई 2016-17’ में शिक्षकों के विवरण एकत्रित करने के लिए पहली बार प्रयास किए गए हैं जिनका उपयोग ‘गुरुजन’ पोर्टल में किया जाएगा और जो विशेष रूप से शिक्षक संबंधी जानकारी को समर्पित होगा। इस पोर्टल को विकसित करने की प्रक्रिया अभी जारी है।
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