नई दिल्ली: गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर की जयंती की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने अपने संदेश में कहा है- ‘‘गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर की जयंती के अवसर पर मैं अपने देशवासियों के साथ भारत के इस महान व्यक्तित्व को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं जिन्होंने राष्ट्रीय गान की रचना की और साहित्य में एशिया का पहला नोबल पुरस्कार प्राप्त किया। एक महान बुद्धिजीवी टैगोर अपनी संस्कृति और साहित्य के बारे में ज्ञान के आदान-प्रदान के माध्यम से सभ्यताओं के मध्य बातचीत के विचार से मंत्रमुग्ध थे। वह ऐसे समय अपने देश के एक आदर्श राजदूत थे, जब बाहरी दुनिया में भारत के बारे में बहुत कम ज्ञान था।
गुरुदेव टैगोर ने शांति और बिरादरी का दृष्टिकोण स्थापित किया जिसकी प्रासंगिकता वैश्विक अपील में लगातार जारी है। जाति, पंथ और रंग से भरी दुनिया में गुरुदेव टैगोर ने विविधता, खुले दिमाग, सहिष्णुता और सह-अस्तित्व के आधार पर एक नई विश्व व्यवस्था के लिए अंतर्राष्ट्रीयवाद को बढ़ावा दिया।
गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर एक महान आत्मा थे, जिन्होंने न केवल उसने अपने जीवन काल को प्रकाशमय बनाया, बल्कि वे आज भी मानवता के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। आइये, हम इस अवसर का टैगोर के मानवता की एकता के विचार से प्रेरणा प्राप्त करने के लिए उपयोग करें।”