योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे के बाद खाली हुई गोरखपुर लोकसभा सीट पर होने जा रहे उप चुनाव के लिए बीजेपी अब तक अपना प्रत्याशी तय नहीं कर सकी है. नामांकन 20 फरवरी तक होना है. शहर में आचार संहिता लागू होने के बाद राजनीतिक बैनर, पोस्टर और होर्डिंग्स को उतारने का काम चल रहा है. लेकिन हर चौक-चौराहे और गली-मोहल्ले में सबसे बड़ा सवाल यही है कि लोकसभा में योगी अपना उत्तराधिकारी किसे बनाएंगे?
सियासी जानकार बताते हैं कि प्रत्याशी कोई भी हो वह योगी की पसंद का होगा. संभावना है कि मंदिर या संत समाज से जुड़े किसी व्यक्ति को इस दौड़ में शामिल किया जा सकता है. यह सीट 28 साल (1989) से लगातार मंदिर के पास है. आदित्यनाथ 1998 से लगातार बीजेपी की टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.
ऐसे में इस पर बीजेपी से चुनाव लड़ना किसी के लिए भी काफी सुरक्षित होगा. लेकिन अब तक फैसला नहीं हो पाया है कि चुनाव लड़ेगा कौन, जबकि पार्टी बूथ स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंप चुकी है. योगी आदित्यनाथ को नजदीक से जानने वाले गोरखपुर के वरिष्ठ पत्रकार टीपी शाही कहते हैं कि “इस सीट पर योगी की सहमति के बिना कुछ नहीं होगा. कई नाम चल रहे हैं लेकिन अभी कुछ कहना अच्छा नहीं होगा. पार्टी किसी बाहरी व्यक्ति को भी भेज सकती है.”गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र कैंपियरगंज, पिपराइच, सहजनवां, गोरखपुर शहर और गोरखपुर देहात आते हैं. इन सभी में बीजेपी के विधायक हैं. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी का कहना है कि एक-दो दिन में प्रत्याशी तय हो जाएगा. जनता को अच्छा प्रत्याशी मिलेगा.
कौन हैं बड़े दावेदार:
डॉ. धर्मेंद्र सिंह: भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्रीय मंत्री डॉ. धर्मेंद्र सिंह का नाम टिकट के लिए सुर्खियों में है. पहले वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में थे. मंदिर से उनका अच्छा संबंध बताया जाता है. हालांकि निकाय चुनाव में उन्हें मेयर की टिकट नहीं मिली थी.
उपेंद्र दत्त शुक्ला: भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ला का नाम भी इसके लिए चर्चा में है. उनकी संगठन और कार्यकर्ताओं में अच्छी पकड़ है. ब्राह्मण चेहरा हैं.
डॉ. रामविलास वेदांती: श्रीराम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य और भारतीय जनता पार्टी से दो बार सांसद रहे डॉ. रामविलास दास वेदांती को पार्टी यहां से अपना प्रत्याशी बना सकती है. इससे संत समाज का भी प्रतिनिधित्व होगा और मंदिर आंदोलन से जुड़े व्यक्ति से हिंदुओं में एक संदेश जाएगा.
बाबा कमलनाथ: गोरखनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी कमलनाथ भी प्रत्याशी बनाए जा सकते हैं. वह मंदिर में दलित चेहरा हैं. योगी के बाद सारा कामकाज वही संभालते हैं. उनको आगे करके दलितों को संदेश भी दिया जा सकता है. अब तक मंदिर से जुड़े दिग्विजय नाथ, अवैद्यनाथ और आदित्यनाथ सांसद रहे हैं.
स्वामी चिन्मयानंद: पूर्व गृहराज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद का नाम भी लोकसभा टिकट के लिए चर्चा में है. वह अटल सरकार में गृहराज्य मंत्री रह चुके हैं. उनका गोरखनाथ पीठ से पुराना नाता रहा है. यहां के अधिकांश कार्यक्रमों में उनकी सहभागिता रहती है.
साधना सिंह: गोरखपुर जिले की कैंपियरगंज विधानसभा सीट से विधायक फतेह बहादुर सिंह की पत्नी साधना सिंह नाम भी चर्चा में है. वह गोरखपुर में जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं. फतेह बहादुर गोरखपुर के हरनही गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता वीर बहादुर सिंह यूपी के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
राधेश्याम सिंह: राधेश्याम सिंह का नाम भी इस दौड़ में शामिल है. हालांकि वे दो बार विधानसभा चुनाव लड़े दोनों बार हार गए. 2017 में टिकट नहीं मिली. (news18)