गोरखपुर: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के बाल रोग विभाग के नोडल अधिकारी को हटाये जाने पर विवाद खड़ा हो गया है जहां पिछले एक सप्ताह में 60 से अधिक बच्चों के मारे जाने की खबर है। एम्स-दिल्ली के रेजीडेंट डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि डॉ कफील खान को बलि का बकरा बनाया गया है।
उक्त सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से पैदा हुए संकट में अपने पैसे से ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने की खबरों के बाद डॉ खान एकदम से हीरो बन गये थे और खबरों में खूब तारीफ बटोर रहे थे। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अस्पताल का दौरा करने के कुछ घंटे बाद खान को नोडल अधिकारी के पद से हटा दिया गया।
मीडिया ने डॉक्टर खान से संपर्क का प्रयास किया लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि वह छुट्टी पर चले गये हैं। मेडिकल कॉलेज के एक शीर्ष सूत्र ने कहा कि खान पर बच्चों की जान बचाने के प्रयास करने के अपने दावे के समर्थन में खबरें जारी कराने के आरोप हैं।
हालांकि सरकार का कहना है कि बच्चों की मौत की बड़ी वजह जापानी इन्सेफेलाइटिस है। गोरखपुर और आसपास के इलाकों में इस बीमारी का प्रकोप लंबे अरसे से बना हुआ है जहां पिछले दो दशक में सैकड़ों बच्चे जान गंवा चुके हैं।
खान पर छद्म तरीके से बच्चों के लिए 50 बिस्तर का निजी अस्पताल चलाने के भी आरोप हैं। सूत्रों ने दावा किया कि अस्पताल की मालिक उनकी डेंटिस्ट पत्नी हैं। उत्तर प्रदेश में सरकारी चिकित्सकों द्वारा निजी प्रैक्टिस पर पाबंदी है।
सूत्रों ने दावा किया कि वह मेडिकल कॉलेज की खरीद समिति के सदस्य भी हैं और उन्हें लखनऊ की उस कंपनी के बकाया बिलों की भी पूरी जानकारी थी जो मेडिकल कॉलेज के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति करती थी।
घटना सामने आने के कुछ घंटे बाद खान ने कहा था, ‘‘पिछले कुछ दिन से सभी डॉक्टर काम पर थे। हमने समय से अधिक काम किया। कुछ लोग सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार कर रहे हैं क्योंकि मैं मुस्लिम हूं। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। मैं साफ कर देना चाहता हूं कि मैं पहले भारतीय हूं और मैंने डॉक्टर के रूप में सबकुछ किया है।’’ एम्स-दिल्ली के रेजीडेंट डॉक्टर संघ के अध्यक्ष डॉ हरजीत सिंह भट्टी ने कहा, ‘‘हमें बड़ी पीड़ा के साथ यह बात कहनी है कि सरकार की बुनियादी खामी और नाकामी के लिए फिर एक डॉक्टर को बलि का बकरा बनाया गया है।’’ संघ ने खान को हटाये जाने की निंदा करते हुए एक खुला पत्र लिखा है और उत्तर प्रदेश सरकार पर सार्वजनिक स्वास्थ्य की पूरी तरह अनदेखी का आरोप भी लगाया है।
भट्टी ने पत्र में लिखा, ‘‘अगर अस्पताल में ऑक्सीजन, दस्ताने, सर्जिकल उपकरण और बुनियादी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं तो कौन जिम्मेदार है? सरकार के मुताबिक डॉक्टर जिम्मेदार है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरी राजनेताओं से अपील है कि अपनी असमर्थता को छिपाने के लिए रोगी और डॉक्टर के रिश्ते को नहीं बिगाड़ें।’’
(भाषा)