नई दिल्लीः “हौसला-2017” के अंतर्गत महिला और बाल विकास मंत्रालय ने आज नई दिल्ली में देश भर के चाइल्ड केयर संस्थानों (सीसीआई) में रह रहे बच्चों के लिए पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित की। इसमें राज्यों/संघशासित प्रदेशों के सीसीआई के 46 बच्चों ने भाग लिया। महिला और बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार ने विजेताओं को स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक प्रदान किए।
इस अवसर पर डॉ. वीरेन्द्र कुमार ने पेंटिंग प्रतियोगिता के जरिये प्रदर्शित बच्चों के जोरदार प्रयासों और उनकी सृजनशीलता के लिए उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि बच्चों ने जिस तरीके से अपनी कल्पना और सपनों को अपनी पेंटिंग के रंगों के जरिये साकार किया है, उससे वे बेहद प्रभावित हुए हैं। उन्होंने घोषणा की कि इन सभी पेंटिंग का प्रदर्शन संसद सौध में किया जाएगा और इन पेंटिंगों के जरिये एकत्र धनराशि बच्चों में बांटी जाएगी।
बच्चों को संबोधित करते हुए मंत्रालय में सचिव श्री राकेश श्रीवास्तव ने दोहराया कि मंत्रालय ने चाइल्ड केयर संस्थानों में रह रहे बच्चों के लिए पहली बार इस तरह का राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम आयोजित किया है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय क्षेत्रीय और राज्य स्तर पर भी ऐसे आयोजन करना चाहता है। चाइल्ड केयर संस्थानों में बच्चों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए मंत्रालय इन संस्थानों द्वारा बच्चों की देखभाल के मानकों के आधार पर उनकी रैंकिंग कर रहा है।
आज का पेंटिंग कार्यक्रम प्रमुख कलाकारों सुश्री आशिमा भोला, सुश्री मधुमिता बल, श्री सत्य विजय, सुश्री श्रुति और सुश्री नैना माथुर (जजों में से एक) की कार्यशाला से शुरू हुआ। पेंटिंग का चयन तीन जजों के पैनल श्री गोविन्द कुमार, श्री विकी राय और सुश्री नैना माथुर के द्वारा किया गया।
बच्चों को चार विषय दिए गए थे, जिनमें मुझे कैसे खुशी मिलती है, कागज पर मेरा सपना, मेरा आदर्श विश्व और अन्य शामिल थे। बच्चों ने अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए विभिन्न माध्यमों जैसे, पानी के रंगों, क्रेयॉन और पेंसिंल के रंगों का उपयोग किया। रंगों और रेखाओं से न केवल उनकी प्रतिभा और सृजनशीलता देखने को मिली, बल्कि उनके सपने और आकांक्षाओं का पता लगा।
प्रथम पुरस्कार असम, द्वितीय पुरस्कार पंजाब और तृतीय पुरस्कार आंध्र प्रदेश के बच्चे को प्रदान किया गया। पंजाब और हिमाचल प्रदेश के दो बच्चों को विशेष पहचान प्रदान की गई।
इससे पहले कल हौसला-2017 के समारोह के अंतर्गत नई दिल्ली में बाल संसद का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम बच्चों को उनके कल्याण से जुड़े विचार व्यक्त करने और अपने सुझाव देने के लिए तैयार किया गया था। राज्यों/संघशासित प्रदेशों के 14-18 वर्ष की आयु वर्ग के करीब 250 बच्चों ने कार्यक्रम में भाग लिया, जो देश भर के विभिन्न चाइल्ड केयर संस्थानों से आये थे।
कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने जीने के अपने अधिकार, विकास, संरक्षण और भागीदारी से जुड़े विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने सभी बच्चों की खेल के मैदान तक पहुंच, अध्यापकों के अभिविन्यास, कमजोर बच्चों की जरूरतों के प्रति स्वास्थ्य सेवा प्रदाता और पुलिस को संवेदनशील बनाने, किसी व्यसन के शिकार बच्चों के पुर्नवास के लिए बेहतर सुविधाएं और सीसीआई के बच्चों को उच्च शिक्षा की पर्याप्त सुविधा देने के बारे में अपने सुझाव दिए। लावारिस बच्चों और भीख मांगने के धंधे में लगे बच्चों का मुद्दा भी अनेक लोगों ने उठाया। बच्चों ने वहां मौजूद उच्च अधिकारियों को मांग पत्र और सुझाव सौंपे।
बच्चों के स्वरों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए डॉ. वीरेन्द्र कुमार ने बच्चों के जागरूकता स्तर की सराहना की। उन्होंने बच्चों को आश्वासन दिया कि उनकी चिंताओं और सुझावों को मंत्रालय उचित सम्मान देगा और उन्हें हल करने का निश्चित प्रयास करेगा। एक कविता की पंक्तियां उद्धृत करते हुए उन्होंने बच्चों को प्रेरित किया, “अभी तो पंख खोले हैं, उड़ान अभी बाकी है!”
मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव श्री अजय तिरके ने कहा कि हौसला-2017 बच्चों को एक ऐसा मंच प्रदान करेगा, जहां वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकेंगे और अन्य राज्यों के बच्चों को पहचानेंगे।
महिला और बाल विकास मंत्रालय 16-20 नवंबर, 2017 तक विभिन्न चाइल्ड केयर संस्थानों में रह रहे बच्चों के लिए “हौसला-2017” उत्सव की मेजबानी करके बाल अधिकार सप्ताह मना रहा है। इसका उद्देश्य इन बच्चों को प्रेरित करके और मुख्य धारा में लाकर अपनी प्रतिभाएं दिखाने के लिए एक राष्ट्रीय मंच प्रदान करना है। हौसला-2017 के अंतर्गत आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में 26 राज्यों/संघशासित प्रदेशों के करीब 500 बच्चे भाग ले रहे हैं।