माल एवं सेवा कर यानी जीएसटी का शुभारंभ हो चुका है। आपको बताते हुए मुझे हर्ष हो रहा है कि स्वतंत्रता के बाद कराधान व्यवस्था में माल और सेवा कर (जीएसटी) सबसे बड़ा सुधार है।
सज्जनों, यह सहकारी संघवाद में एक महान प्रयोग है जहां केन्द्र और राज्यों ने अपनी संप्रभुता समायोजित की है – सभी निर्णय एकमत होकर लिए गये हैं। देश भर में वस्तुओं के मुक्त प्रवाह के लिए टैरिफ और गैर टैरिफ बाधाओं को दूर करके एक आम राष्ट्रीय बाजार का निर्माण किया गया है जहां कोई चेक व्यवस्था अर्थात कोई नाका नहीं होगा।
आपको मैं बता दूं कि करदाताओं और कर अधिकारियों के बीच इंटरफेस की संख्या को कम करके अनुपालन लागत को कम करना तथा सभी प्रक्रियाओँ चाहे वे कारोबार की हो अथवा कर प्रशासन की हों, सभी में सूचना प्रौद्योगिकी को गहन रूप से अपनाया जाएगा।
मैं आपको बताना चाहता हूं जीएसटी अपनाने से केन्द्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर, वैट, खरीद कर, मनोरंजन कर, प्रवेश कर, चुंगी आदि जैसे कई कर खत्म हो जाएंगे और मात्र एकल कर रह जाएगा। दोस्तों, यह खुशी की बात है कि पहली बार एक राष्ट्रीय कर प्रशासन योजना लायी जा रही है जहां केन्द्र और राज्यों के अधिकारी एक समान राष्ट्रीय अप्रत्यक्ष कर कानून बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। भारत 1947 मे राजनैतिक संघ बन गया लेकिन जीएसटी अब भारत को एक आर्थिक संघ में भी रूपान्तरित कर देगा।
दोस्तों, जीएसटी से आम नागरिक को लाभ होगा। यह आसान कर प्रणाली है क्योंकि इससे दोहरे काराधान का उन्मूलन होगा जिनका भुगतान हम होटेल में खाना खाने पर करते हैं जिसमे वैट, सेवा कर, मनोरंजन कर, विलासिता कर शामिल होते हैं। इसी प्रकार सॉफ्टवेयर में दो वैट एवं सेवा कर हैं। लेकिन इस व्यवस्था में केवल एक कर है। इसी प्रकार, व्यापक दोहरे कराधान के उन्मूलन के कारण वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य में कमी होगी, जिससे मुद्रास्फीति कम होगी और मंहगाई पर लगाम लगेगा। पूरे देश में एक समान मूल्य होगा क्योंकि सभी राज्यों में एकसमान कर होगा। सब कुछ ऑनलाइन होने के कारण कराधान में पारदर्शिता आएगी। जीएसटी से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी क्योंकि बड़ी मात्रा में हुई कर वसूली को आधारभूत सेवाओं, व्यवस्था, आवास आदि को बढ़ाने में लगाया जाएगा। जीएसटी के आ जाने के बाद चुंगी एवं राज्य प्रवेश कर खत्म हो जाएंगे।
यहां इस बात का जिक्र करना अच्छा रहेगा कि जीएसटी के अंतर्गत कर निर्धारण वर्तमान संरचना जहां कुछ मामलों में जैसे सॉफ्टवेयर के मामलों, वस्तुओं के उपयोग के अधिकार आदि के मामलों में केन्द्र और राज्यों में कर निर्धारण के निर्णय में अनिश्चितता मौजूद रहती है, इसके मुकाबले कर निर्धारण के क्षेत्राधिकार के संबंध में स्पष्टता पर मुकदमेबाज़ी कम होगी। जीएसटी शासन में एक शुल्क कानून रखा गया है जहां विभिन्न शुल्क कानूनों में विद्यमान बहु मूल्यांकनों की तुलना में एक सरल मूल्यांकन रखा गया है। प्रस्तावित जीएसटी की प्रक्रिया के अंतर्गत विशिष्ट शुल्क दर के साथ, सरल आदान शुल्क ऋण तंत्र और समेकित जीएसटी नेटवर्क सूचना उपलब्ध रहेगी और सरकार के लिए संसाधनों को प्रशासित करना और भी सरल हो जाएगा।
यहां उल्लेखनीय है कि जीएसटी से कृषि को विभिन्न लाभ होंगे। इससे एकीकृत बाजार हो जाएगा। इसमें विभिन्न करों को मिलाकर एक कर बना देने से प्रक्रिया सरल हो जाएगी और राष्ट्रीय स्तर पर एक साझा बाजार तैयार करने में मदद मिलेगी। कम लागत वाले उत्पाद के कारण निर्यात में वृद्धि होगी । वस्तुओं पर कर का भार जीएसटी के तहत आ जाने से उपभोक्ताओं को फायदा होगा। इससे जीडीपी में 0.9- 1.7 प्रतिशत वार्षिक की रेंज में वृद्धि होने की संभावना है।
आपको बता दूं कि इससे राष्ट्रीय कृषि बाजार (एनएएम) योजना को मजबूत करने में मदद मिलेगी। जीएसटी के कार्यान्वयन से राष्ट्रीय कृषि बाजार के कार्यान्वयन को सरल बनाया जाएगा क्योंकि सभी प्रकार के कर/सेस के स्थान पर केवल जीएसटी लगाया जाएगा जिससे विपणन सुविधा में सुधार होगा। वेयर हाउस के माध्यम से वर्चुअल बाजार के विकास की सुविधा मिलेगी और ओवरहेड विपणन में मदद मिलेगी।
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