नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि वित्त मंत्रालय के आयकर विभाग ने कर प्रशासन में दक्षता, पारदर्शिता एवं निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए पिछले दो-तीन वर्षों में अनेक कदम उठाए हैं। वित्त मंत्री ने इन पहलों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 50 लाख रुपये तक की आमदनी वाले करदाताओं के लिए सिर्फ एक पेज वाला आईटीआर-1 (सहज) फॉर्म पेश किया गया। वित्त मंत्री ने कहा कि 2.5 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक की आमदनी वाले करदाताओं के लिए टैक्स दर 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी गई जो दुनिया की न्यूनतम कर दरों में से एक है। वित्त मंत्री श्री जेटली ने यह भी कहा कि 5 लाख रुपये तक की आमदनी वाले ऐसे गैर-बिजनेस करदाताओं के लिए ‘कोई जांच नहीं’ अवधारणा शुरू की गई जिन्होंने पहली बार टैक्स रिटर्न भरा था। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य यह था कि ज्यादा से ज्यादा लोग कर दायरे में आएं, अपने-अपने आईटी रिटर्न भरें और निर्धारित टैक्स भरें। वित्त मंत्री आज यहां ‘आईटी विभाग की पहलों’ विषय पर वित्त मंत्रालय से संबंद्ध सलाहकार समिति की दूसरी बैठक को संबोधित कर रहे थे।
आयकर विभाग की अन्य पहलों पर प्रकाश डालते हुए वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि 50 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर घटाकर 25 प्रतिशत के स्तर पर ला दी गई जिससे लगभग 96 फीसदी कंपनियों को कवर कर लिया गया। 01 मार्च, 2016 को अथवा उसके बाद गठित नई विनिर्माण कंपनियों को बगैर किसी छूट के 25 फीसदी की दर से टैक्स लगाए जाने का विकल्प दिया गया। वित्त मंत्री ने कहा कि प्रक्रियागत सुधारों के तहत न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) से संबंधित क्रेडिट को 10 वर्षों के बजाय 15 वर्षों तक आगे ले जाने (कैरी फॉरवर्ड) की अनुमति दी गई।
ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में विभाग की पहलों पर रोशनी डालते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इस साल 97 फीसदी आयकर रिटर्न इलेक्ट्रॉनिक ढंग से दाखिल किए गए जिनमें से 92 फीसदी रिटर्न की प्रोसेसिंग 60 दिनों के भीतर कर दी गई और 90 फीसदी रिफंड 60 दिनों के भीतर जारी कर दिए गए। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि आयकर विभाग ने शिकायत निवारण प्रणाली ‘ई-निवारण’ शुरू की है जिसके तहत ऑनलाइन एवं कागज पर लिखकर दी गई सभी शिकायतों को एकीकृत कर दिया गया है और इनका निवारण होने तक इन पर करीबी नजर रखी जाती है। प्रत्येक शिकायत को स्वीकार किया जाता है और उसके समाधान के बारे में सूचना ईमेल और एसएमएस के जरिये दी जाती है। वित्त मंत्री ने कहा कि 4.65 लाख ई-निवारण शिकायतों में से 84 फीसदी शिकायतों का निपटारा अब तक किया जा चुका है।
वित्त मंत्री श्री जेटली ने कहा कि ‘ई-सहयोग’ के जरिये सूचनाओं में अंतर वाले सभी मामलों को गैर-दखल तरीके से निपटाया जाता है जिससे कि पूर्ण जांच को टाला जा सके। वित्त मंत्री ने कहा कि आयकर विभाग द्वारा हर तिमाही लगभग 1.9 करोड़ वेतनभोगी करदाताओं को यह सूचना दी जाती है कि उनके नियोक्ताओं द्वारा कितना टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) जमा कराया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि विभाग की इन सभी ई-गवर्नेंस पहलों से कर निर्धारण अधिकारियों और करदाताओं के बीच प्रत्यक्ष संपर्क न्यूनतम हो गया है जिससे करदाताओं का उत्पीड़न कम करने, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और समय की बचत करने में मदद मिली है।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कारोबार में सुगमता और वित्तीय बाजारों को बढ़ावा देने के लिए आयकर विभाग द्वारा उठाए गए कदमों पर भी प्रकाश डाला। इस संबंध में उन्होंने 50 लाख रुपये तक की आमदनी वाले प्रोफेशनलों के लिए प्रकल्पित कराधान योजना शुरू किए जाने का उल्लेख विशेष रूप से किया। इसी तरह कारोबारी आमदनी हेतु प्रकल्पित कराधान योजना के लिए सीमा को 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये कर दिया गया है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) में अवस्थित कंपनियों को लाभांश वितरण कर से मुक्त कर दिया गया है और उन्हें केवल 9 फीसदी की दर से मैट अदा करना होगा।
जहां तक काले धन के खिलाफ छेड़े गए अभियान का सवाल है, आयकर विभाग ने वर्तमान सरकार के सत्ता में आने के बाद अनेक तरह के कदम उठाए हैं। इस संबंध में वित्त मंत्री ने काला धन अधिनियम 2015, बेनामी अधिनियम 1988 में किए गए व्यापक संशोधनों और ऑपरेशन क्लीन मनी इत्यादि का उल्लेख किया। वित्त मंत्री ने कहा कि 9 नवंबर, 2016 से लेकर 10 जनवरी, 2017 तक के विमुद्रीकरण संबंधी आंकड़ों के गहन अध्ययन के बाद लगभग 1100 तलाशियां ली गईं और इसके परिणामस्वरूप 513 करोड़ रुपये की नकदी सहित 610 करोड़ रुपये की राशि जब्त की गई। उन्होंने कहा कि 5400 करोड़ रुपये की अघोषित आय के बारे में पता लगा और समुचित कार्रवाई के लिए लगभग 400 मामले ईडी और सीबीआई को सौंपे गए हैं।
‘लेस कैश’ अर्थव्यवस्था और डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री ने कहा कि आयकर विभाग ने अनेक कदम उठाए जिनमें 2 लाख रुपये अथवा उससे ज्यादा की नकदी की प्राप्ति पर जुर्माना लगाना, धर्मार्थ ट्रस्टों को नकद दान की सीमा को 10,000 रुपये से घटाकर 2,000 रुपये करना और राजनीतिक दलों को 2000 रुपये या इससे अधिक का नकद दान नहीं किया जाना, इत्यादि शामिल हैं।
विमुद्रीकरण के असर और आयकर विभाग के विभिन्न सक्रिय कदमों पर प्रकाश डालते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि प्रत्यक्ष करों के मामले में राजस्व संग्रह वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 14.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 8,49, 818 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष में 18 सितंबर, 2017 तक प्रत्यक्ष करों का शुद्ध संग्रह 15.7 प्रतिशत बढ़कर 3.7 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया।
उन्होंने कहा कि करदाताओं की कुल संख्या वित्त वर्ष 2012-13 के 4.72 करोड़ से काफी बढ़कर वित्त वर्ष 2016-17 में 6.26 करोड़ हो गई।
इससे पहले सीबीडीटी के अध्यक्ष श्री सुशील चंद्रा ने समिति के समक्ष आयकर विभाग की पहलों पर एक प्रस्तुति दी।
उपर्युक्त बैठक में वित्त राज्य मंत्री श्री एस.पी.शुक्ला, वित्त सचिव श्री अशोक लवासा, राजस्व सचिव डॉ. हसमुख अधिया, निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग में सचिव श्री नीरज कुमार गुप्ता, आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव श्री एस.सी.गर्ग, मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. अरविंद सुब्रमण्यन, सीबीडीटी के अध्यक्ष श्री सुशील चंद्रा और वित्त मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण भी उपस्थित थे।
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