नई दिल्ली: वित्त अधिनियम, 2017 के तहत इस आशय के एक नये खंड (एबी) को आयकर अधिनियम, 1961 (कथित अधिनियम) की धारा 12 ए की उपधारा (1) में (01.04.2018 से प्रभावी) जोड़ा गया था कि इस अधिनियम की धारा 12 ए या 12 एए के तहत जिस न्यास और संस्थान को पंजीकरण प्रदान किया गया है और उसने बाद में अपने उद्देश्यों में संशोधन कर लिया है या अपना लिया है, तो ऐसा संशोधन इस प्रकार के पंजीकरण की शर्तों की पुष्टि नहीं करता है, इसलिए ऐसे न्यास या संस्थान को ऐसे अंगीकरण या उद्देश्यों के संशोधन की तिथि से तीस दिन की अवधि के अंदर एक आवेदन द्वारा फिर से पंजीकरण प्राप्त करना अपेक्षित होगा।
प्रदत्त विधान से संबंधित ज्ञापन वित्त विधेयक, 2017 के साथ संसद के पटल पर रखा गया है। अपने उद्देश्यों में संशोधन करने वाले न्यास या संस्थान के पंजीकरण के लिए प्रधान आयुक्त या आयुक्त के समक्ष 12 (1) (एबी) के तहत पंजीकरण के लिए आवेदन फॉर्म और तरीके को निर्धारित किया जाना अपेक्षित है।
इस अधिनियम की धारा 12 ए के तहत चैरिटेबल या धार्मिक न्यासों के पंजीकरण के लिए आवेदन करने के नियम आयकर अधिनियम, 1962 की धारा 17 ए के तहत दिये गये है। नियमों के मुताबिक चैरिटेबल या धार्मिक न्यासों के पंजीकरण के लिए अधिनियम की धारा 12 ए के तहत आवेदन फॉर्म 10 ए पर किया जाना है।
तदनुसार, अधिनियम में उपरोक्त संशोधन होने से नियम 17 ए और फॉर्म 10 ए में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव है। इस संबंध में, नियम 17 ए और फॉर्म 10 ए में संशोधन उपलब्ध कराने की मसौदा अधिसूचना तैयार की गई है और आयकर विभाग की वेबसाइट www.incometaxindia.gov.in पर हितधारकों और आम जनता की टिप्पणियों के लिए अपलोड की गई है।
मसौदा नियमों के बारे में टिप्पणियां और सुझाव ईमेल पते dirtpl1@nic.in पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से 27 अक्टूबर, 2017 तक भेजे जा सकते है।