अपनी कॉमेडी और शानदार अभिनय से सबके दिलों पर राज करने वाले राजपाल यादव की फिल्म हाल ही में तिश्नगी रिलीज हुई है और इस मौके पर उनसे हमारी खास बातचीत हुई।इस दौरान उन्होंने अपनी फिल्म तिश्नगी से लेकर अपनी पर्सनल लाइफ तक कई दिलचस्प बातें बताईं। आइए जानते हैं क्या बोले राजपाल यादव।
राजपाल जी अपनी फिल्म तिश्नगी के बारे में बताइए, इस फिल्म में आपका कैसा किरदार है और अब तक के निभाए गए किरदारों से कितना अलग होगा?
अब तक आपने देखा होगा कि फिल्म में कुछ कॉमन मैन किरदार होते हैं। हां, ये अलग बात होती है कि कभी वो गेस्ट अपीयरेंस में होते हैं, कभी वो सपोर्टिंग होते हैं, कभी मेन लीड भी होते हैं। तो इस फिल्म में मेरा एक छोटा सा प्यारा सा किरदार है जैसे ऑफिस में कोई कॉमन मैन होता है, बस वैसा किरदार है। जो जब तक फिल्म में रहता है तो फिल्म की कहानी को रोचक बनाने की कोशिश करता है।
रील लाइफ में सबको हंसाने वाले राजपाल रियल लाइफ में कैसे है
रियल लाइफ में मैं बहुत गंभीर हूं। अपना चुलबुला पन मैं फिल्मों में डाल देता हूं। मैं सारी मस्तियां फिल्म में डाल देता हूं। रील में मैं मस्खरा हूं, लेकिन रियल लाइफ में मैं बहुत अच्छा मश्वरा हूं।
फिल्म में आने की प्रेरणा कैसी रही
फिल्मों में आने से पहले मैं आपको बताता हूं कि अभिनय में आने की प्रेरणा कहां से मिली। तो अभिनय के स्टेज बदलते रहे। मुझे शुरुआत से अभिनय से प्रेम था। मैं स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पार्टिसिपेट करता रहता था। मैंने फिर थिएटर ज्वाइन किया। फिर टीवी और फिर फिल्मों में। तो स्टेज बदलते रहे, लेकिन मेरा अभिनय से प्यार और बढ़ता रहा।
कभी थिएटर और फिल्मों में से किसी एक को चुनना पड़ा तो आप क्या चुनेंगे?
नहीं, मैं किसी एक चीज को बिल्कुल नहीं चुन सकता। जैसे ट्रेन 2 पटरी पर चलती है, वैसे राजपाल यादव के लिए सिनेमा और थिएटर दोनों ही महत्वपूर्ण है। राजपाल की रेल गाड़ी तभी अच्छे से चलेगी जब सिनेमा और थिएटर की पटरी साथ होगी। मैं इन दोनों के बीच कभी कोई चुनाव नहीं कर सकता।
राजपाल आप तो कॉमेडी के स्टार हैं, लेकिन आपको कौन बेस्ट कॉमेडियन लगता है?
मैं एक एंटरटेनर हूं और जो लोग सबको एंटरटेन करते हैं, मुझे वो सब अच्छे लगते हैं। मुझे किसी एक को चुनना हो तो मैं चार्ली चैप्लिन का नाम लेना चाहूंगा।
राजपाल जी उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर से एनएसडी तक पहुंचने का सफर आपका कैसा था।
मेरा शाहजहांपुर से एनएसडी तक का सफर नहीं था। शाहजहांपुर से 50 किलोमीटर दूर एक गांव जहां 3-3 किलोमीटर तक 6 महीनों तक पानी भरा रहता था। जब वहां से मैं शाहजहांपुर पढ़ने आया, फिर लखनऊ तो मैंने उस सफर को कभी स्पेशल नहीं माना। आपको लगता होगा कि मैंने कुछ पा लिया, लेकिन मैं अभी भी बहुत कुछ पाना चाहता हूं। शाहजहांपुर में एक नाटक हुआ था तो उसमें मुझे बहुत तालियां मिली थी तो मुझे लगा मैं बहुत बड़ा स्टार हूं, लेकिन जब मैं लखनऊ पहुंचा तो मुझे नींद नहीं आई क्योंकि मुझे लगता था कि मैं स्टार हूं, लेकन मैं ‘शाम’ को ‘साम’ बोलता था। फिर जब शाम और सुबह कहना सीख पाया, तब तक 2 साल बीत चुके थे। लेकिन जब एनएसडी में आया, तब वहां मैंने सब सीख लिया, फिर मुझमें किसी भी स्टार के साथ काम करने का कॉन्फिडेंस आ गया। अभिनेता बनने का जन्म शाहजहांपुर में हुआ, लखनऊ में पालन पोषण और दिल्ली के रंगमंचमें बड़ा हुआ।
आज कल की कॉमेडी फिल्मों में एडल्ट कॉमेडी की जाती है, तो इस पर आपको क्या कहना
समाज में 2 तरीके के लोग हैं। किसी को कुछ पसंद है और किसी को कुछलेकिन मैं मानता हूं कि राजपाल यादव अपने जीवन तक ऐसी फिल्में करेगा जिसको सब देख सकें, चाहे बड़े हो या बच्चे हो।
क्या अभी किसी को-स्टार ने ऐसा कहा कि आपकी कॉमेडी के आगे हम कैसे काम करेंगे
हमारी इंडस्ट्री बहुत हेल्पफुल है। जितने यहां लोग हैं, सब दोस्त हैं। मैं 100 जन्म भी लूंतो भी मैं इस इंडस्ट्री का कर्जा नहीं लौटा सकता। एक है मां जिसने जन्म दिया, दूसरी है सिनेमा जिसने पूरे सातों समंदर में जीवन दिया। तो मैंने जो-जो फिल्में की सबके साथ खूब खाने से लेकर चुटकुले सुनाने से लेकर बहुत प्यार मिला है।
किस डायरेक्टर की कॉमेडी फिल्में पसंद है
वैसे तो कई डायरेक्टर्स हैं जो बहुत अच्छी फिल्में बनाते हैं, लेकिन अगर एक नाम लेना हो तो मैं डेविड धवन साहब का नाम लेता हूं। आज भी मैं उनको उतनी ही मेहनत करते हुए देखता हूं जितना 2001 में देखा था। वो अपने काम के प्रति बहुत ईमानदार रहते हैं।
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