17.4 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

जलागम प्रबन्धन योजनाओं की समीक्षा करते हुएः विभागीय मंत्री सतपाल महाराज

उत्तराखंड

देहरादून: प्रदेश के सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, लघु-सिंचाई, वर्षा जल संग्रहण, जलागम प्रबन्धन, भारत-नेपाल उत्तराखण्ड नदी परियोजनाएं, पर्यटन, तीर्थाटन, धार्मिक मेले एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में जलागम प्रबन्धन योजनाओं की समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई।

जलागम प्रबन्धन मंत्री सतपाल महाराज ने जलागम में संचालित योजनाओं को ईको टूरिज्म से जोड़ते हुए रोजगारपरक बनाने के निर्देश दिये, ताकि गाँव से पलायन रोकने के साथ-साथ युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी मुहैया किये जा सकें। उन्होंने जल संरक्षण पर आधारित योजनाओं को प्राथमिकता से लेने के निर्देश दिये तथा संचालित परियोजनाओं मंे आधुनिक तकनीकि अपनाने के निर्देश दिये। उन्होंने विभाग में क्रय प्रक्रिया, नियुक्ति, प्रतिनियुक्ति आदि में पारदर्शिता रखने के निर्देश दिये तथा दोषी पाये जाने पर सख्ती से कार्रवाई चेतावनी दी। उन्होंने कृषि, पशुपालन, उद्यान, जल संरक्षण से जुडे़ विशेषज्ञ, वैज्ञानिकों/उन्नतशील काश्तकारों के साथ प्रदेश के 3 से 4 हजार की संख्या में काश्तकारों की एक कार्यशाला आयोजन के निर्देश दिये। उन्होंने जलागम विभाग द्वारा अब तक किये गये वृक्षारोपण, कृषकों का विवरण तथा सफलता की कहानियों का विवरण उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। उन्होंने जिलाधिकारी पिथौरागढ़ एवं मुख्य विकास अधिकारी उत्तरकाशी द्वारा की गई जाँचों का ब्यौरा भी मांगा। उन्होंने वृक्षारोपण स्थल का विवरण सम्बन्धित विधायक को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये, ताकि सत्यापन उनके स्तर से भी कराया जा सके उन्होंने पौधे क्रय में पारदर्शिता अपनाने के निर्देश दिये। तथा योजना में पेशेवर ढ़ग से कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया उन्होंने वृक्षारोपण तथा अनुरक्षण में जनसहभागिता निभाने के निर्देश दिये। उनका कहना था कि जनसहभागिता के अभाव में पौधों का जीवनदर (सर्वाइवल रेट) काफी कम है। उन्होंने   सफलता की कहानियाँ तथा योजना के बारे में जनजागरूक करने के लिए दूरदर्शन, रेडियो प्रसारण माध्यमों का भी  अधिक से अधिक उपयोग करने के निर्देश दिये। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि जलागम योजना पलायन रोकने की सशक्त माध्यम है। उन्होंने पहाड़ों में पलायन रोकने के लिए कृषि एवं औद्यानिकी विकास, वनीकरण एवं चारागाह विकास कर प्राकृति संसाधनों का प्रबन्धन में अधिकाधिक युवाओं को रोजगार दिलाने, जल संचय एवं भूमि का कटान रोकने में बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार सृजन करने, डेरी उत्पादन तथा निर्बल वर्ग परिवारों हेतु आजीविका के उत्पन्न करने की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रस्तुतीकरण के दौरान परियोजना निदेशक (ग्राम्यां) सुश्री नीना ग्रेवाल ने केन्द्र पोषित प्राधनमंत्री कृषि सिंचाई योजना, विश्व बैंक पोषित उत्तराखण्ड विकेन्द्रीकृत जलागम विकास परियोजना फेज-2 2017-18, आईफैड पोषित एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना 2017-18 तथा हरेला कार्यक्रम 2017 के अन्तर्गत जलागम प्रबन्धन द्वारा किये गये कार्यों की अद्यतन प्रगति पर विस्तार से जानकारी दी।

प्रस्तुतीकरण के दौरान विभागीय मंत्री को अवगत कराया गया कि विभाग में संचालित योजनाएँ केन्द्र पोषित है जिनमें केन्द्र और राज्य का अंशदान अनुपात 90ः10 का है। केन्द्र पोषित प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत समेकित जलागम प्रबन्धन परियोजना 617.37 करोड़ की है। जिससे 4256 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में कार्य किया जाना है। जो समस्त 13 जनपदों में संचालित है।  5 से 7 वर्ष की अवधि की इस परियोजना में प्रदेश के 56 विकास खण्डों की 1374 ग्राम पंचायतों में 1 अप्रैल 2010 से कार्य संचालित है। विश्व बैंक पोषित 1020 करोड़ लागत की उत्तराखण्ड विकेन्द्रीकृत जलागम विकास परियोजना फेज-2 आठ पर्वतीय जनपदों की 509 ग्राम पंचायतों में 15 जुलाई 2014 से कार्य संचालित है। आईफैड पोषित एकीकृत सहयोग आजीविका सहयोग परियोजना के अन्तर्गत एक फरवरी 2012 से प्रदेश की 3 जनपदों नैनीताल, पौड़ी एवं चम्पावत के 7 विकास खण्डों के 190 ग्राम पंचायतों में कार्य संचालित है।

उत्तराखण्ड विकेन्द्रीकृत जलागम विकास परियोजना फेज-2  योजना में बायोमास की दर बढ़ाने निर्देश कैबिनेट मंत्री द्वारा दिये गये तथा अधिकाधिक क्षेत्रफल में बगीचे विकसित करने के निर्देश दिये गये। योजना में अभी तक 2429 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बगीचों का विकास किया गया है। तथा 7680 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सब्जी उत्पाद तथा 3025 हेक्टेयर क्षेत्रफल में वानिकी पौध रोपण किया गया है।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More