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जाजमऊ स्थित जामिया महमूदिया अशरफुल उलूम में हजरत मौलाना अनवार अहमद साहब जामई के लिए ताजियती जलसे (श्रद्धांजली सभा) का आयोजन हुआ

जाजमऊ स्थित जामिया महमूदिया अशरफुल उलूम में हजरत मौलाना अनवार अहमद साहब जामई के लिए ताजियती जलसे (श्रद्धांजली सभा) का आयोजन हुआ
उत्तर प्रदेश

कानपुरः मुफ्ती महमूदुल हसन गंगोही के खलीफा हजरत मौलाना अनवार अहमद जामई के दुनिया से विदा होने से जहां उलमा ए किराम की एक बड़ी संख्या अपने सबसे बुजुर्गव प्रिय उस्ताद (शिक्षक) से वंचित हो गई वहीं जामिया महमूदिया के उस्ताद (शिक्षक) अपने प्राचार्य (सदर मुदर्रिस) के चले जाने से एक भरपाई ना होने वाली कमी को महसूस कर रहे हैं, जाजमऊ स्थित जामिया महमूदिया अशरफुल उलूम में हजरत मौलाना अनवार अहमद साहब जामई के लिए ताजियती जलसे (श्रद्धांजली सभा) का आयोजन हुआ, जिसमें मदरसे के संचालक मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी, वहां के उस्तादों (शिक्षकों) व तलबा (छात्रों) ने मौलाना अनवार साहब की नमाजों की पाबंदी, मेहमान नवाज़ी, बेहतर आचरण, और अपने साथ किये गये अच्छे व्यवहार को याद किया।

जामिया महमूदिया के संचालक मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़उसामा क़ासमी ने शोक संबोधन में कहा कि हजरत के रहते मदरसे में जो शिक्षा प्रणाली थी इससे वह कहीं भी जाए निश्चिंत रहते थे। मेरे लिए और मदरसे के लिए वह एकांत में दुआएं किया करते थे जो मुझे कई परेशानियों से बचा लेती थीं। अल्लाह तआला उनके जैसा हमारे लिए कोई बदल पैदा फरमा दे। हजरत अपनी आध्यात्मिक महानता हमेशा छिपाकर रखते थे यहां तक कि जब उन्हें हजरत मुफ्ती महमुदुल हसन गंगोही रह0 से खिलाफत मिली तो उसे भी बहुत दिनों तक छिपा कर रखा। आज से दस साल पहले हजरत की दिनचर्या थी कि वह सुबह से शाम तक पांच हजार बार अल्लाह के नाम का विर्द (जप) किया करते थे, अब इस समय कितना विर्द (जप) करते थे बहुत प्रयास के बावजूद पता नहीं हो सका। आप हमेशा बहुत अच्छे तरीके से छात्रों को तालीम (शिक्षा) देते रहे, आप की कोशिश रहती थी कि तलबा (विद्यार्थियों) के मन में प्रश्न पूछने में संकोच, व असंतोष न आने पाए, उस्तादों (शिक्षकों) का दिल तलबा (छात्रों) से और तलबा (छात्रों) का दिल अपने उस्तादों (शिक्षकों) के प्रति हमेशा साफ रहे। बुर्जगान ए दीन के हमेशा विश्वसनीय रहे। हजरत 49 साल तक पढ़ने-पढ़ाने के कार्याें में व्यस्त रहे , हजारों उलमा आपके शागिर्द हैं और आप के लिए सदका़ ए जारीया हैं।

इससे पहले जामिया महमूदिया के शिक्षक मौलाना मुहम्मद अकरम जामई ने कहा कि हजरत मौलाना अनवार अहमद साहब जामई ने पूरा जीवन पढ़ने-पढ़ाने में गुजार दिया। हजरत अपने तलबा (छात्रों) को नमाज की पाबंदी की विशेष हिदायत देते थे तो हजरत के जीवन का अंतिम काम भीनमाज़ ही था।

मौलाना इफ्तिखार साहब कासमी दिल्ली जो हजरत मौलाना के शागिर्द हैं और दिल्ली में इमामत के कर्तव्यों का पालन कर रहें ने लघु बयान में हजरत मौलना अनवार साहब के गुणों का वर्णन किया। जामिया के शिक्षकों मौलाना मुहम्मद शफी मज़ाहिरी, मौलाना नूरुद्दीन अहमद क़ासमी, मुफ्ती असअदुद्दीन क़ासमी , मुफ्ती उस्मान क़ासमी, मुफ्ती अजीजुर्रहमान क़ासमी, मुफ्ती मुहम्मद दानिश कासमी, मुफ्ती मुहम्मद आमिर क़ासमी, क़ारी अब्दुल हई, क़ारी शम्सुलहुदा क़ासमी, मौलाना मसूद जामई, मौलाना अब्दुल जब्बार, हाफिज अब्दुलकुद्दूस आदि ने हजरत मौलाना अनवार अहमद साहब के अच्छे आचरण, अपने लगाव, तालीम (शिक्षा) के प्रति समर्पण व पाबंदी, उस्तादों (शिक्षकों) व तलबा (छात्रों) के साथ विशेष लगाव को याद किया। मौलाना उसामा कासमी साहब ने मौजूद सभी लोगों से वादा लिया कि हजरत नमाज़ की पाबंदी करते थे हम भी प्रतिज्ञा करें कि हमेशा नमाज़ की पाबंदी होगी। मौलाना नूरुद्दीन अहमद कासिमी का दुआ पर सभा समाप्त हुई। जामिया के सभी छात्रों ने सभा में भाग लिया। सभा से पहले कुरआन की तिलावत से आयोजन का शुभारम्भ किया गया।

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