भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड-सेल नई कर व्यवस्था के लिए खुद को तैयार कर रही है, जो वस्तु एवं सेवा कर–जीएसटी के लागू होने के साथ ही पहली जुलाई, 2017 से प्रभावी हो जाएगी। सेल ने कर व्यवस्था में बदलाव के निरीक्षण के लिए प्रसिद्ध सलाहकर की नियुक्ति के अलावा पूरे भारत में स्थित संयंत्रों, इकाईयों, मार्केटिंग कार्यालयों और अन्य इकाईयों में समन्वय के लिए विशेष दलों का भी गठन किया है।
देश की कर व्यवस्था में जीएसटी को लागू करना एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका देश की अर्थव्यवस्था पर दूरगामी और सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस बड़े बदलाव को लागू करने के लिए विस्तृत योजना और मौजूदा व्यवस्थाओं और प्रक्रियाओं पर इसके प्रभाव की स्पष्ट समझ होना जरूरी है। इन जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कम्पनी के प्रतिबद्ध दल उच्च प्रबन्धन की निगरानी में कम्पनी की आंतरिक व्यवस्थाओं और प्रक्रियाओं में जरूरी बदलाव कर रहा है।
कम्पनी की टीम इस संदर्भ में जारी हो रहे विभिन्न नियमों और दिशा-निर्देशों की स्पष्ट समझ सुनिश्चित करने के लिए लगातार आपसी बातचीत कर रही हैं ताकि जीएसटी के लागू होने वाले प्रावधानों की समझ को बढ़ाया जा सके।
कम्पनी के विभिन्न संयंत्रों और इकाईयों की टीम ने विशेष कदम उठाए हैं और अपने कर्मचारियों के लिए जागरूकता कार्यक्रमों के अलावा व्यापारियों, ग्राहकों और ठेकेदारों को भी जागरूक करने के लिए अभियान चलाया है ताकि नई कर व्यवस्था अपनाने की प्रक्रिया आसान बनाई जा सके।
सेल ने हाल ही में घोषणा की थी कि मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान कंपनी का एक करोड़ 50 लाख टन इस्पात की बिक्री का लक्ष्य है। कम्पनी ने बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए मांग पर आधारित उत्पाद मॉडल अपनाने की बात कही थी। कम्पनी का मानना है कि जीएसटी की नई एकीकृत कर संरचना से राष्ट्रीय बाजार के निर्माण में मदद मिलेगी और खरीदारों पर बहुस्तरीय कर का भार कम होगा एवं इससे व्यापार की भावना भी बढ़ेगी।
सेल प्रबन्धन का मानना है कि इस विशेष अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था का घरेलू अर्थव्यस्था पर काफी महत्वपूर्ण असर पड़ेगा। इससे व्यवस्था में और अधिक पारदर्शिता आएगी एवं एक कर एक बाजार व्यवस्था से निश्चित तौर पर व्यापार करना आसान हो जाएगा।