नई दिल्लीः जीएसटी परिषद ने 18 जनवरी, 2018 को आयोजित अपनी 25वीं बैठक में कई वस्तुओं एवं सेवाओं पर राहत देने वाले अनेक उपायों की सिफारिश की थी। परिषद द्वारा मंजूर की गई एक महत्वपूर्ण सिफारिश यह है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से छूट के उद्देश्य से किसी भी निवासी कल्याण संघ (आरडब्ल्यूए) के सदस्यों द्वारा किए जाने वाले अंशदान की सीमा बढ़ा दी जाए।
परिषद ने सिफारिश की थी कि इस सीमा को प्रति सदस्य प्रति माह 5,000 रुपये से बढ़ाकर 7,500 रुपये की जा सकती है। आरडब्ल्यूए (गैर-निगमित निकाय अथवा एक पंजीकृत गैर-लाभकारी निकाय) द्वारा अपने सदस्यों को मुहैया कराई जाने वाली सेवाओं पर अब तक प्रति सदस्य प्रति माह 5,000 रुपये तक के अंशदान के सापेक्ष छूट प्राप्त थी। अनेक हलकों से इस आशय के अनुरोध प्राप्त हुए थे कि छूट के लिए प्रति सदस्य प्रति माह 5,000 रुपये की अंशदान सीमा बढ़ा दी जाए।
इसके परिणामस्वरूप आरडब्ल्यूए को अपने सदस्यों से प्राप्त किए जाने वाले मासिक अंशदान/योगदान पर जीएसटी अदा करना होगा, बशर्ते कि इस तरह का अंशदान प्रति सदस्य प्रति माह 7,500 रुपये से अधिक हो और सेवाओं एवं वस्तुओं की आपूर्ति के जरिए आरडब्ल्यूए का वार्षिक कारोबार भी 20 लाख रुपये या उससे अधिक हो।
जीएसटी के तहत आरडब्ल्यूए पर अब कर बोझ इस वजह से कम रहेगा कि उनके द्वारा पूंजीगत सामान (जेनरेटर, वाटर पम्प, लॉन फर्नीचर इत्यादि), वस्तुओं (नल, पाइप, अन्य सैनिटरी/हार्डवेयर फिलिंग इत्यादि) और इनपुट सेवाओं जैसे कि मरम्मत एवं रख-रखाव सेवाओं पर अदा किए गए करों के संदर्भ में वे अब इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) पाने के हकदार होंगे। उल्लेखनीय है कि जीएसटी पूर्व अवधि के दौरान वस्तुओं एवं पूंजीगत सामान पर अदा किए गए केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं वैट का आईटीसी उपलब्ध नहीं था और यह आरडब्ल्यूए के लिए एक लागत थी।
जीएसटी परिषद की उपर्युक्त सिफारिशों को प्रभावी बनाने वाली अधिसूचनाएं जारी कर दी गई हैं और वे 25 जनवरी, 2018 को प्रभावी हो चुकी हैं। तदनुसार, 25 जनवरी, 2018 से प्रति सदस्य प्रति माह 7,500 रुपये तक की राशि के अंशदान के सापेक्ष आरडब्ल्यूए द्वारा अपने सदस्यों को मुहैया कराई जाने वाली सेवाओं को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है।