नयी दिल्ली: जीएसटी परिषद ने जीएसटी के अंतर्गत मुनाफाखोरी के खिलाफ राष्ट्रीय प्राधिकरण के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए योग्य व्यक्तियों की पहचान और सिफारिश करने के लिए मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता में चयन समिति गठित की है। मुनाफाखोरी के खिलाफ राष्ट्रीय प्राधिकरण का कार्य उपभोक्ताओं को वस्तुओँ और सेवाओं के प्रवाह पर कर में कटौती के पूर्ण लाभ सुनिश्चित करना है।
जीएसटी परिषद द्वारा गठित किये जाने पर, यह प्राधिकरण वस्तुओं अथवा सेवाओँ की आपूर्ति पर जीएसटी की दर में कटौती अथवा यदि मूल्यों में अनुपातिक कटौती द्वारा प्राप्तकर्ता को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं सौंपे जाने की स्थिति में मुनाफाखोरी के खिलाफ उपायों को लागू करने के लिए जिम्मेदार होगा। इस प्राधिकरण का नेतृत्व सचिव स्तर का वरिष्ठ अधिकारी करेगा और इसमें केन्द्र और/अथवा राज्यों के चार तकनीकी सदस्य होंगे।
मुनाफाखोरी के खिलाफ उपायों के बारे में पहले से ही अधिसूचित नियमों में व्यवस्था की गई है कि मुनाफाखोरी के खिलाफ उपायों को शुरू करने के लिए आवेदनों की स्थायी समिति द्वारा जांच की जाएगी, लेकिन यदि आवेदन स्थानीय मामले से जुड़ा है जिसमें व्यवसाय केवल एक राज्य में है, इसकी पहले राज्य स्तर की स्क्रीनिंग समिति जांच करेगी। स्थायी समिति को अधिकार है कि वह ऐसे मामलों को रक्षा महानिदेशक के पास भेज दें जिसमें विस्तृत जांच की जरूरत है।
यदि प्राधिकरण मुनाफाखोरी के खिलाफ उपायों को लागू करने की आवश्यकता की पुष्टि कर देता है तो उसे यह अधिकार है कि वह संबद्ध व्यवसाय को अपने दामों को कम करने का आदेश दें अथवा वस्तुओं और सेवाओं के प्राप्तकर्ता के ब्याज के साथ प्राप्त अनुचित लाभ को वापस करे। यदि अनुचित लाभ प्राप्तकर्ता को नहीं दिया जा सकता है तो इसे उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करने का आदेश दिया जा सकता है। मुनाफाखोरी के खिलाफ राष्ट्रीय प्राधिकरण अधिक से अधिक भुगतान नहीं कर सकने वाली व्यवसायिक संस्था पर जुर्माना लगा सकती है और यहां तक कि जीएसटी के अंतर्गत उसका पंजीकरण रद्द करने का आदेश दे सकती है। इस प्राधिकरण के गठन से उपभोक्ता का विश्वास बढ़ने और सभी साझेदारों को जीएसटी के लाभ मिलने की उम्मीद है।
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