नई दिल्ली: जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) पूर्व व्यवस्था में कोयले पर 6 प्रतिशत की दर से उत्पाद शुल्क, प्रति टन कोयला उत्पादन पर 10 रुपये की दर से भंडारण (स्टोइंग) संबंधी उत्पाद शुल्क, 5 प्रतिशत की दर से वैट (राज्य के भीतर होने वाली बिक्री पर) और 2 प्रतिशत की दर से केन्द्रीय बिक्री दर (अंतर-राज्य बिक्री पर, फॉर्म सी पेश करने पर) अदा करने पड़ते थे। जीएसटी को लागू किये जाने के बाद इन सभी करों और शुल्कों का विलय कर दिया गया है और उपभोक्ताओं पर 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जा रहा है। इस आशय की जानकारी विद्युत, कोयला तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और खान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने आज लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में दी।
मंत्री महोदय ने यह भी बताया कि जीएसटी से पहले 400 रुपये प्रति टन की दर से स्वच्छ पर्यावरण उपकर लगता था, जिसे समाप्त कर दिया गया है और अब इसके स्थान पर 400 रुपये प्रति टन की दर से एक नया शुल्क लगता है, जिसका नाम जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर है। हालांकि,इससे पहले स्वच्छ पर्यावरण उपकर (सेस) पर वैट/सीएसटी लगता था, लेकिन अब इस तरह का कोई भी टैक्स जीएसटी भरपाई उपकर पर नहीं लगता है।
जीएसटी पर अमल के तहत हितधारकों की सहूलियत के लिए कोयला मंत्रालय द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं :
- कोयला मंत्रालय में जेएस और एफए की अध्यक्षता वाले सुविधाजनक प्रकोष्ठ और सीआईएल एवं इसकी सहायक कंपनियों तथा एनएलसीआईएल में सुविधाजनक प्रकोष्ठ कार्यरत हैं। इसके अलावा, टोल फ्री नंबर भी सुलभ कराया गया है।
- केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों और विभिन्न हितधारकों के साथ मंत्री, सचिव और अपर सचिव के स्तर पर विभिन्न बैठकें आयोजित की गई थीं।
III. जीएसटी पोर्टल पर पंजीकरण में सहूलियत/स्पष्टीकरण के लिए हितधारकों/ठेकेदारों हेतु हेल्प डेस्क की व्यवस्था की गई है।
- प्राय: पूछे जाने वाले ऐसे प्रश्नों (एफएक्यू) को सीआईएल की सहायक कंपनियों की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है, जो बातचीत के दौरान पूछे गये थे।