नई दिल्ली: मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उद्यम मंत्रालय ने आज फिक्की के साथ मिलकर ‘जीएसटी’ और ‘डिजिटल एमएसएमई’ विषय पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। केन्द्रीय मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उद्यम मंत्री श्री कलराज मिश्र ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि मंत्रालय पूरे देश में मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों के विकास पर विशेष ध्यान दे रहा है और इसके लिए विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम प्रभावी ढंग से लागू किए जा रहे हैं। मंत्रालय ने बैंकों को भी निर्देश दिया है कि वे उद्यमियों के ऋण संबंधी समस्याओं का जल्द से जल्द निदान करें।
मंत्री महोदय ने आगे कहा कि जीएसटी से कर बोझ में महत्वपूर्ण कमी आयेगी और यह औपचारिक अर्थव्यवस्था के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। इस प्रकार विकास दर में बढ़ोत्तरी होगी और रोजगार सृजन के अवसर बनेंगे। इसलिए मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उद्यम को जीएसटी को एक चुनौती के रूप में नहीं बल्कि एक अवसर के रूप में देखना चाहिए।
श्री कलराज मिश्र ने बताया कि मंत्रालय ने जीएसटी को लोकप्रिय बनाने के लिए विभिन्न प्रयास किए हैं। विकास आयुक्त कार्यालय (एमएसएमई) के मुख्य कार्यालय में जीएसटी कक्ष बनाये गए हैं। एनएसआईसी ने टोल फ्री नं. 1800-111-955 के साथ एक सुविधा केन्द्र भी बनाया है। अब तक एमएसएमई के प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्र अधिकारियों ने लगभग 12000 उद्यमियों को जीएसटी विषय पर प्रशिक्षण प्रदान किया है।
श्री मिश्र ने कहा कि उन्होंने स्वयं ही पूर्वोत्तर के गुवाहाटी और अगरतला में जीएसटी पर जानकारी दी है। मंत्री महोदय ने सभी अधिकारियों को जीएसटी से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए सोशल मीडिया जैसे फेसबुक और ट्वीटर के उपयोग करने का निर्देश दिया है। इसके माध्यम से जीएसटी के संबंध में जानकारी देने व अधिसूचना प्रकाशित करने को कहा है। इसके अलावा अतिरिक्त सचिव/संयुक्त सचिव स्तर के 200 अधिकारी जिलास्तर पर जीएसटी के लागू होने की निगरानी करेंगे। मंत्रालय के दो संयुक्त सचिवों को यह कार्यभार दिया गया है।
श्री मिश्र ने जानकारी देते हुए कहा कि मंत्रालय की पत्रिका ‘लघु उद्योग समाचार’ ने जीएसटी पर एक विशेष अंक प्रकाशित किया है। मंत्रालय के सचिव को कैबिनेट सचिव स्तरीय समीक्षा समिति में शामिल किया गया है। जीएसटी के साथ ही मंत्रालय ने अपनी विभिन्न योजनाओं को लागू करने संबंधी दिशा-निर्देशों का सरलीकरण किया है। पीएमईजीपी को ऑनलाइन कर दिया गया है। ऑनलाइन शिकायत समाधान और निगरानी प्रणाली(सीपीजीआरएएमएस तथा आईजीएमएस) स्थापित की गई है। ई-कार्यालय और मोबाइल अनुकूल वेबसाइट प्रांरभ किए गए हैं। माई-एमएसएमई मोबाइल एप, एमएसएमई डाटा बैंक पोर्टल और डिजिटल एमएसएमई पोर्टल भी शुरू किए गए हैं।
मंत्री महोदय ने जानकारी देते हुए कहा कि डिजिटल एमएसएमई एक नए दृष्टिकोण के साथ प्रांरभ किया गया है। यह नया दृष्टिकोण है, उत्पादन और व्यापार प्रक्रिया के लिए आईसीटी के सहारे क्लाउड क्म्प्यूटिंग ताकि राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में उत्कृष्टता हासिल की जा सके।
राज्यमंत्री श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि जीएसटी के माध्यम से सरकार ने ग्रामीण असंगठित उद्यमियों के लिए नए अवसर प्रदान किए हैं।
राज्यमंत्री श्री हरिभाई पार्थीभाई ने कहा कि एक बहुत बड़ी समानांतर अर्थव्यवस्था जो अब तक विद्यमान है, वह जीएसटी के माध्यम से औपचारिक अर्थव्यवस्था में शामिल हो जाएगी। उन्होंने उद्यमियों से अपील करते हुए कहा कि इनपुट टैक्स का फायदा लेने के लिए वे अपने व्यापारियों का चुनाव सोच समझ कर करें।
एमएसएमई के सचिव श्री अरूण कुमार पांडा ने सभी प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए जीएसटी के अन्तर्गत एमएसएमई क्षेत्र में आने वाली समस्याओं पर विशेष जानकारी प्रदान की। उन्होंने डिजिटल एमएसएमई जैसे आईसिटी जैसी योजनाओं का उपयोग करने का सुझाव दिया। कार्यक्रम में सीबीईसी के प्रतिनिधि उपस्थित थे। उन्होंने एमएसएमई उद्यमियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का समुचित उत्तर दिया।
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