लखनऊ: राज्य सरकार ने प्रदेश में जैव ऊर्जा प्रोत्साहन कार्यक्रम को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इस कार्यक्रम के तहत उद्यमियों तथा निवेशकों को विशेष सुविधाएं सुलभ कराने की प्रयास की गई है। इसके लिए आकर्षक एवं व्यवहारिक नियमावली प्रख्यापित की गई है। सरकार का पहल है कि राज्य में जैव ऊर्जा परियोजनाएं बड़ी संख्या में स्थापित हों, ताकि लोगों को रोजगार के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध हो सकें।
यह जानकारी अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग के प्रमुख सचिव श्री आलोक कुमार ने दी है। उन्होंने बताया कि विभिन्न जैव ऊर्जा परियोजनाओं जैसे-डीजल, बायो एथेनाॅल, मेथेनाॅल, बायो गैस, बायो सीएनजी, प्रोडयूसर गैस, बायो कोल उत्पादन इकाईयों पर विशेष प्रोत्साहन देने का प्राविधान किया गया है। जैव ऊर्जा के उत्पादन से पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य की प्राप्ति, पेट्रोलियम आधारिर्त इंधन की खपत को उत्तरोत्तर रुप से कम करने, अतिरिक्त रोजगार सृजन तथा आर्गेनिक खेती हेतु आवश्यक इनपुट की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर विशेष बल दिया गया है।
प्रमुख सचिव ने बताया कि प्रख्यापित नियमावली में जैव ऊर्जा उद्यम प्रोत्साहन योजना में निवेश पर पूॅजीगत अनुदान की तीन सीमायें तय की गई है। इसमें स्तर-1 की परियोजना हेतु 10 करोड़ रुपये सेे कम, स्तर-2 की परियोजनाओं के लिए 10 से 100 करोड़ रुपये तक तथा स्तर-3 की परियोजनओं के लिए 100 करोड़ रुपये से ऊपर की परियोजनायें ली जायेगी।
नियमावली में वित्तीय सहायता हेतु परियोजना लागत के विभिन्न अंशों की गणना का आधार जैव ऊर्जा प्रोत्साहन हेतु जारी दिशा निर्देश तथा औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-12017 को रखा गया है। योजनान्तर्गत विभिन्न उपादान की गणना करते समय परियोजना लागत में भूमि व प्रशासकीय भवन की लागत को सम्मिलित नहीं किया जाएगा। यंत्र एवं संयत्रों की स्थापना, अनुसंधान एवं विकास गतिविधयों, आंतरिक परिक्षण सुविधाओं, भण्डारण सुविधाओं, उत्पादन प्रक्रिया से संबंधित नये भवनों के निर्माण में की गई लागत को वास्तविक व्यय के आधार पर भवन के मूल्य हेतु आवंटित किया जाएगा। अवस्थापना सुविधाओं के अंतर्गत ऐसी नई सड़कें, सीवर लाइन, जलनिकाशी, पावर लाइन, रेलवे, साइडिंग आदि के कार्य माने जाएगे। औद्योगिक उपक्रम के स्वयं प्रयोग हेतु इन्फ्युलएट इस्टिमेट प्लांट, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, ट्रांसफार्मर एवं पावर फीडर की स्थापना भी शामिल होगी।
श्री आलोक कुमार ने बताया कि बायो एथेनाॅल, बायो डीजल, ड्राप-इन-फ्यूल, मेथेनाॅल तथा अन्य बायो फ्यूल के उत्पादन में भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा स्थापित गुणवत्ता मानकों का प्रत्येक दशा में अनुपालन करना अनिवार्य होगा। उन्होंने बताया कि जैव ऊर्जा परियोजना के लिए वर्ष में दो बार विज्ञापन के माध्यम में आवेदन आमंत्रित लिए जायेंगे। प्राप्त आवेदन पत्रों पर इच्छुक उद्यमियों की निवेश सीमा के आधार पर विचार किया जाएगा। आवेदन पत्रों को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। समिति के अनुमोदन के उपरान्त मान्य प्रस्तावों को ‘लेटर आॅफ कन्फर्ट‘ जारी किया जाएगा।
आवेदन पत्र का निर्धारित प्रारुप उद्योग विभाग, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग, नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा विभाग अभिकरण तथा योजना भवन लखनऊ स्थित उ0प्र0 राज्य जैव ऊर्जा विकास बोर्ड कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है।