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ज्ञान और धन हासिल करना सब कुछ नहीं, चरित्र निर्माण करें युवा: राजनाथ

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने लखनऊ स्थित जानकीपुरम इंजीनियरिंग कालेज के सभागार में 21वीं सदी के भारत के विकास में युवाओं की भूमिका नामक संगोष्ठी आयोजित की। इस मौके पर केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने विद्यार्थी परिषद की वार्षिक पत्रिका स्मृति मंजूषा का विमोचन किया।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ज्ञान और धन हासिल करना ही सब कुछ नहीं है। इसके साथ चरित्र का होना भी जरूरी है। रावण ज्ञानी, धनवान और बलवान था लेकिन चरित्र न होने के कारण आज राम की पूजा होती है। इसलिए युवाओं को यह बात मन में बैठानी चाहिए। उन्हें जीवन मूल्यों को अपनी जिन्दगी में चरितार्थ करने की जरूरत है। राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता बेहद आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है कि आज शिक्षा की जो व्यवस्था है, उससे हम चरित्र और एकता को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। चरित्र के साथ ज्ञान का समावेश नहीं होगा तो हम दुनिया में भारत की पताका नहीं फहरा पायेंगे। युवा भीख नहीं भविष्य के आकांक्षी बनें। मनुष्य के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज चरित्र है। अगर चरित्र नहीं है तो कुछ भी नहीं है।

गह मंत्री ने वर्तमान राजनीति पर चिन्ता जताते हुए कहा कि आज राजनेताओं को लेकर झूठ, फरेब की धारणा बन गई है। वास्तव में जो नीति के आधार पर राज करे वही राजनीति है, जो समाज को सन्मार्ग दिखाये वही राजनीति है। युवा मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम की राजनीति स्थापित करने का संकल्प लेकर आगे बढ़ें। जब राम के हाथों में राजनीति गई तो भक्ति बन गई, जब श्रीकृष्ण के हाथों में गई तो युक्ति बन गई, जब महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस जैसे लोगों के हाथ में गई तो शक्ति बन गई, जब चन्द्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, भगत सिंह, खुदीराम बोस के हाथों में गई तो मुक्ति बन गई, लेकिन जब भ्रष्ट नेताओं के हाथ में गई तो सम्पत्ति और अराजक तत्वों के हाथों में जाने पर विपत्ति बन गई। इसलिए युवाओं को इस बात को समझना बेहद जरूरी है। उनकी आज की राजनीति में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका है।

राजनाथ ने कहा कि दुनिया में जो भी महान नेता हुए वह सेना या भौगोलिक क्षेत्र के कारण बने, लेकिन भारत में त्याग करने वाले मर्यादा पुरूषोत्त्म श्रीराम, सत्यवादी हरिश्चन्द्र, स्वामी विवेकानन्द को पहचान मिली। भारत में धन को होना महानता नहीं बल्कि त्याग का होना इसका पैमाना है। सुख की प्राप्ति बड़े मन से होती है। बड़े मन के लोग ही विश्व के मन पर आसीन होते हैं। छोटे मन से अच्छे समाज का निर्माण नहीं हो सकता। वहीं उन्होंने कहा कि मतभेद होना तो जरूरी है लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए। वहीं उन्होंने जिस सभागार में कार्यक्रम हो रहा था, उसका नामकरण करते हुए राम प्रसाद बिस्मिल सभागार नाम दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, के कुलपति प्रो. विनय पाठक ने की जबकि पवन चैहान, फैजाबाद नगर निगम के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, स्वागत अध्यक्ष ओपी श्रीवास्तव,प्रान्त संगठन मंत्री सत्यभान सिंह, संगठनमंत्री अभिलाष मिश्रा, अंशुल श्रीवास्तव, विनय, मानष भूषण त्रिपाठी, विनय , बावा हरदेव, आरके सिंह भी उपस्थित रहे।

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