नई दिल्लीः माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 4955.72 करोड़ रुपये की सम्पूर्ण लागत पर 425 कि.मी. लम्बी झांसी-माणिकपुर और भीमसेन-खैरार लाइनों की दोहरीकरण और विद्युतीकरण परियोजनाओं को अनुमोदित कर दिया है। इस परियोजना के वर्ष 2022-23 तक पूरा होने की संभावना है। इन परियोजनाओं में उत्तर प्रदेश के झांसी, महोबा,बांदा, चित्रकूट धाम और मध्य प्रदेश का छतरपुर जिला कवर होगा।
झांसी-खैरार, खैरार-माणिकपुर और खैरार-भीमसेन की मौजूदा लाइन क्षमता उपयोगिता क्रमशः 126, 160 और 107 प्रतिशत है, जिससे इस खंड में संकुलन होता है और गाड़ियों की गति धीमी होती है।
इस दोहरीकरण परियोजना से विपरीत दिशा में गाड़ियों की क्रॉसिंग के लिए ठहराव दिए बिना झांसी/कानपुर से आने-जाने वाली गाड़ियों और इलाहाबाद से आने-जाने वाली गाड़ियों का आवागमन सुगम होगा। इससे झांसी-सतना और कानपुर-सतना के मार्ग पर यात्री गाड़ियों के समय-पालन और सुगम चालन में सुधार होगा। इस परियोजना से अनुरक्षण ब्लॉकों के लिए बेहतर उपलब्धता में सुधार के माध्यम से बेहतर संरक्षा व्यवस्था मुहैया होगी।
यह नोट किया जाए कि डीएफसी (समर्पित माल गलियारा) की कनेक्टिविटी भीमसेन स्टेशन के समीप है। इस प्रकार यह मार्ग डीएफसी के लिए फीडर मार्ग के रूप में कार्य करेगा और वस्तुओं, विशेष रूप से कृषि उत्पादों के उपभोक्ता क्षेत्रों तथा निर्यात के लिए बंदरगाहों तक सुगम संचलन के जरिए आर्थिक और औद्योगिक विकास में सहायक होगा। सीमेंट के सुगम संचलन के जरिए इस विकास से सतना में सीमेंट क्लस्टर और अवसंरचना सेक्टर को भी मुख्य रूप से लाभ होगा।
इस परियोजना से खजुराहो, जो एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल है, तक कनेक्टिविटी में सुधार होगा। इससे क्षेत्र में पर्यटन के माध्यम से आर्थिक सम्पन्नता आएगी और रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
विद्युतीकरण के परिणामस्वरूप गाड़ियां तीव्र गति से चलेंगी, कार्बन उत्सर्जन में कटौती होगी और टिकाऊ पर्यावरण को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा, इससे ईंधन आयात पर निर्भरता में कमी होगी,जिसके परिणामस्वरूप रेलों के लिए ऊर्जा लागत में बचत होगी और देश के लिए विदेशी मुद्रा की बचत होगी। इसके अलावा, इन परियोजनाओं से निर्माण के दौरान लगभग 102 लाख कार्य दिवसों का प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होगा।