नई दिल्ली: रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 58 में ट्रेनों में महिला यात्रियों के लिए स्थान निर्धारित करने का प्रावधान है। इसी के अनुसार भारतीय रेल ने यात्रियों को ले जाने वाली ट्रेनों में महिला यात्रियों के लिए निम्नलिखित स्थान निर्धारित किया है।
- लम्बी दूरी की मेल / एक्सप्रेस रेलगाडियों की स्लीपर श्रेणी में महिलाओं के लिए 6 बर्थों का आरक्षण कोटा।
- स्लीपर क्लास में प्रति कोच 4 लोवर बर्थ तथा वातानुकूलित 3 टीयर (3 एसी) तथा वातानुकूलित 3 टीयर (2एसी) में प्रति कोच 2 लोवर बर्थ का सम्मिलित कोटा, वरिष्ठ नागरिकों / 45 वर्ष और उससे ऊपर की आयु की महिला यात्रियों तथा अकेली यात्रा कर रही गर्भवती महिला के लिए है। राजधानी एक्सप्रेस, दुरंतो तथा पूरी तरह वातानुकूलित / एक्सप्रेस ट्रेनों में इस कोटे के अंतर्गत सामान्य मेल/ एक्सप्रेस रेलगाडियों में प्रति कोच 3 लोवर बर्थ की तुलना में 3एसी में प्रति कोच 4 लोवर बर्थ का प्रावधान है।
- द्वितीय श्रेणी सह, सामान्य सह, गार्ड कोच वाली लम्बी दूरी की अधिकतर रेलगाडियों में महिलाओं के लिए द्वितीय श्रेणी का स्थान।
- ईएमयू (इलेक्ट्रीकल मल्टीपल यूनिट) / डीएमयू (डीजल मल्टीपल यूनिट) / एमएमटीएस (मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम) ट्रेनों तथा स्थानीय सवारी गाडि़यों में मांग तथा उपलब्धता के अनुसार महिला यात्रियों के लिए अनारक्षित कोच कम्पार्टमेंट में स्थान।
- मुम्बई, कोलकाता, सिकन्दराबाद, चेन्नई उपनगरीय तथा दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सक्सनों पर लेडीज स्पेशन ईएमयू/ एमईएमयू / एमएमपी सेवाएं।
महिला यात्रियों सहित विभिन्न श्रेणियों के यात्रियों के लिए स्थान निर्धारण, मांग आधार तथा स्थान उपलब्धता के आधार पर किया जाता है। यह एक निरंतर प्रक्रिया होती है।
रेलवे की पुलिस निगरानी राज्य का विषय है। अपराध रोकना, मामलों का पंजीकरण, उनकी जांच तथा रेल परिसरों और चलती ट्रेनों में कानून और व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है, जिसे राज्य सरकारें सरकारी रेल पुलिस (जीआरपी) / जिला पुलिस के माध्यम से करती है। लेकिन यात्रियों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) जीआरपी के प्रयासों का पूरक है।
महिला यात्रियों सहित सभी यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारतीय रेल निम्नलिखित कदम उठा रहा है :
- विभिन्न राज्यों की सरकारी रेल पुलिस द्वारा रोजाना 2200 ट्रेनों की सुरक्षा के अतिरिक्त कमजोर और चिन्ह्ति मार्गों / सेक्शनों पर 2500 रेलगाडियों (औसतन) की सुरक्षा दैनिक स्तर पर रेलवे सुरक्षाबल द्वारा की जाती है।
- भारतीय रेल के लगभग 394 स्टेशनों पर लगाये गये सीसीटीवी कैमरों के जरिए निगरानी की जाती है ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो।
- महानगरों में चलने वाली लेडीज स्पेशन ट्रेनों की सुरक्षा का कार्य आरपीएफ की महिला कर्मियों द्वारा किया जाता है। चलती ट्रेन में सुरक्षा दस्ते को रास्ते में तथा ठहरने वाले स्टेशनों पर लेडीज कोच में अतिरिक्त सतर्कता बरतने को कहा गया है।
- ट्वीटर / फेसबुक आदि विभिन्न सोसल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से भारतीय रेल महिला यात्रियों सहित सभी यात्रियों से नियमित संपर्क से रहता है ताकि यात्रियों की सुरक्ष बढ़ाई जा सके और उनकी सुरक्षा चिंताओं को दूर किया जा सके।
- संकट में फंसे यात्रियों की सुरक्षा संबंधी सहायता के लिए भारतीय रेल में सुरक्षा हेल्पलाईन नम्बर 182 को कामकाजी बनाया गया है।
- क्लोज सर्किट टेलिविजन नेटवर्क, एक्सेस कंट्रोल के माध्यम से कमजोर स्टेशनों की निगरानी के लिए एकीकृत सुरक्षा प्रणाली की स्वीकृति दी गई है ताकि 202 से अधिक रेलवे स्टेशनों पर निगरानी व्यवस्था सुधारी जा सके।
- महिलाओं के लिए आरक्षित कम्पार्टमेंट में पुरूष यात्रियों का प्रवेश रोकने के लिए नियमित रूप से अभियान चलाया जाता है और किसी व्यक्ति को दोषी पाये जाने पर रेलवे अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत मुकदमा चलाया जाता है।
- अपराध रोकने, मामलों का पंजीकरण उनकी जांच और चलती रेलगाडियों के साथ साथ रेल परिसरों में कानून और व्यवस्था के लिए रेलवे सुरक्षा बल, राज्य पुलिस / जीआरपी अधिकारियों से संवाद करता है।
यह प्रेस विज्ञप्ति 27/12/2017 (बुधवार) को लोकसभा में रेल राज्य मंत्री श्री राजेन गोहेन द्वारा एक प्रश्न के दिये गये लिखित उत्तर पर आधारित है।