नई दिल्ली: मजबूत विपक्ष के लिए तीसरे मोर्चे की शुरू हुई सियासी सरगर्मियों को थामने की रणनीति के तहत संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने डिनर डिप्लोमेसी के बहाने विपक्षी नेताओं को एकजुट करने की फिर पहल की है। संसद सत्र के दौरान 13 मार्च को सोनिया के इस रात्रि भोज का न्योता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत विपक्षी खेमे के सभी दलों के नेताओं को भेजा गया है। कांग्रेस इस डिनर के सहारे तीसरे मोर्चे के बजाय भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक विपक्षी एकजुटता वाले गठबंधन की राजनीतिक जरूरत का संदेश देने की कोशिश करेगी।
पार्टी सूत्रों ने यूपीए प्रमुख की विपक्षी नेताओं के लिए आयोजित रात्रिभोज के कार्यक्रम की पुष्टि करते हुए कहा कि संसद सत्र के दौरान सोनिया गांधी विपक्षी नेताओं से राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर व्यापक चर्चा के लिए ऐसी पहल करती रही हैं। इस लिहाज से डिनर की पहल नई नहीं है मगर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की भाजपा के खिलाफ तीसरे मोर्चे के विकल्प की छेड़ी तान से यह रात्रिभोज अहम बन गया है। खासतौर पर यह देखते हुए कि केसीआर के तीसरे मोर्चे के सियासी सिक्के को तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने लपकते हुए इसकी शुरुआती राजनीतिक पहल भी कर दी है। केसीआर से बात करने के बाद ममता ने द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन से भी सोमवार को फोन पर बात कर ली।
ममता और केसीआर की यह पहल कांग्रेस के लिए राजनीतिक चुनौती है क्योंकि तीसरे मोर्चे का कोई विकल्प उभरता है तो उसका सियासी नुकसान कांग्रेस को होगा। इतना ही नहीं तीसरा मोर्चा बनने की स्थिति में भाजपा के खिलाफ 2019 में व्यापक मजबूत विपक्षी महागठबंधन की कांग्रेस की राजनीतिक योजना पर भी पानी फिर जाएगा। जाहिर तौर पर कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी खेमे में टूट का संदेश नहीं जाने देना चाहती है।
इसीलिए सोनिया गांधी का यह डिनर एक तरह से विपक्षी नेताओं के जमावड़े का संदेश देने का प्रयास होगा। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि इस भोज में शरद पवार, सीताराम येचुरी के अलावा द्रमुक, राजद, नेशनल कांफ्रेंस आदि दलों के नेताओं ने शामिल होने की पुष्टि कर दी है। तृणमूल कांग्रेस के नेता भी इसमें शामिल होंगे मगर ममता बनर्जी की ओर से अभी इस आयोजन के लिए दिल्ली आने की पुष्टि नहीं की गई है। यूपीए अध्यक्ष के इससे पहले हुए भोज में भी ममता शामिल नहीं हुई थीं। (नईदुनिया)