नई दिल्ली: कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के अंतर्गत प्रशिक्षण महानिदेशालय ने अकादमिक वर्ष 2017 के लिए कौशल तंत्र में पांच उच्चस्तरीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है। वेल्डिंग टेक्नॉलॉजी, इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स एवं ऑटोमेशन, मैन्युफैक्चरिंग टेक्नॉलॉजी, ऑटोमोटिव टेक्नॉलॉजी एंड आईटी और नेटवर्किंग एवं क्लाउड कंप्युटिंग नामक पांच पाठ्यक्रमों को एनसीवीटी की उप समिति की बैठक में आज मंज़ूरी दे दी गई। देशभर में व्यावसायिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में लंबे समय से उन्नत किस्म के पाठ्यक्रमों/विशेष पाठ्यक्रमों की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
ये पाठ्यक्रम दो वर्ष की अवधि के हैं। इन पाठ्यक्रमों को उन्नत प्रशिक्षण संस्थानों (एडवांस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट) में अगस्त/सितंबर 2017 से शुरू किया जाएगा। ये पाठ्यक्रम कम्प्युटराइज़्ड न्युमैटिक कंट्रोल मशीनिंग, ऑटोमोटिव टेक्नॉलॉजी, वेल्डिंग, मेकाट्रोनिक्स, इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स एंड ऑटोमेशन जैसे कौशल विकास के विशेष क्षेत्रों में बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त करने में प्रशिक्षुओं को सक्षम बनाएंगे। ये पाठ्यक्रम कौशल विकास प्रशिक्षण के वर्तमान दायरे का विस्तार भी करेंगे। प्रशिक्षण अवधि के एक चौथाई समय को नौकरी पर प्रशिक्षण के रूप में निर्धारित किया गया है, जिसके तहत प्रशिक्षुओं को अपने पाठ्यक्रम की कुल अवधि का एक चौथाई समय नौकरी के तौर इंडस्ट्री में गुजारना होगा।
इस संबंध में अपने विचार रखते हुए केन्द्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि ‘कौशल विकास तंत्र में पांच उच्चस्तरीय पाठ्यक्रमों को शामिल किया जाना, उद्योग द्वारा इस क्षेत्र में बढ़ी मांग के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया के समान है। दरअसल उद्योग हमेशा से यह कहते हैं कि उनके पास वे कर्मचारी नहीं हैं, जिनकी उद्योगों को आवश्यकता है, जो पूरी तरह से प्रशिक्षित एवं कौशल विकास से परिपूर्ण हैं। उद्योग विशेष क्षेत्रों में कुशल कर्मियों की मांग कर रहा है। कौशल विकास के क्षेत्र में इस उन्नति के साथ, उन्नत प्रशिक्षण संस्थान उद्योग द्वारा की जा रही मांग और आपूर्ति के बीच अंतर को पाटने का काम करेगा। ये प्रयास हमें भारत को दुनिया में कौशल विकास की राजधानी बनने के हमारे दृष्टिकोण को पूरा करने के करीब लेकर जाएगा।’
इस बैठक में एमएसडीई, कपड़ा मंत्रालय के विभिन्न सरकारी अधिकारी और हरियाणा, त्रिपुरा, चंडीगढ़ (संघ शासित प्रदेश), बिहार एवं राजस्थान राज्यों की सरकारों के प्रतिनिधि शामिल हुए।