जोहानिसबर्ग: दक्षिण अफ्रीका में 1946 ‘इंडियन पैसिव रेसिस्टेंस कम्पैन’ की 70 वीं वषर्गांठ के मौके पर महात्मा गांधी की पोती इला गांधी को सामाजिक कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर डरबन में आयोजित समारोह में स्वतंत्रता हासिल करने के लिए अपनी जान देने वालों के सम्मान में एक स्मारक स्थल फ्रीडम पार्क में एक पौधरोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
दक्षिण अफ्रीका के लिए भारत सरकार के पहले एजेंट श्रीनिवास शास्त्री के नाम पर बनाये गये शास्त्री कॉलेज के 70 से अधिक पुराने छात्र नजदीक के फ्रीडम पार्क में एकत्र हुये जहां पर प्रदर्शनकारियों के सम्मान में 90 वर्षीय धनीराम मूलचंद ने पहला पौधा लगाया।
पार्क में रहकर रंगभेदी सरकार के ‘गेटो विधेयक’ के खिलाफ 1947 में विरोध करते हुये हजारों पुरूष और महिलाओं ने सरकार और पुलिस के दबाव को मानने से इंकार कर दिया था।
विस्थापित लोगों के लिए कठोर अलग विकास नीतियों को लागू करने और उन्हें अलग बस्ती में लोगों को जबरन बसाने के लिए यह विधेयक भारतीयों को अन्य जातीय समूहों से भूमि या संपत्ति खरीदने से रोकने के लिए बनाया गया था।
इला ने दक्षिण अफ्रीका में रहने के दौरान अपने दादा महात्मा गांधी ने शांतिपूर्ण विरोध के सत्याग्रह सिद्धांत तैयार करने पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि गांधी के नेतृत्व में 1913 में गोरों के द्वारा अश्वेतों के खिलाफ पहला सामूहिक संघर्ष हुआ था।
उन्होंने बताया कि ‘पैसिव रेसिस्टेंस कैंपेन’ देश में पहली सामूहिक कार्रवाई थी और इसके बाद सत्याग्रह के उसी सिद्धांत का इस्तेमाल किया गया।
शास्त्री कॉलेज के पूर्व छात्रों के अध्यक्ष हाबी सिंह ने बताया कि रंगभेद के विरोध को याद करने के लिए वे फ्रीडम पार्क को पर्यटकों के बीच आकषर्ण का केन्द्र बनाने के लिये स्थानीय नगरपालिका के साथ मिल कर काम करेंगे।