नई दिल्ली: ‘दक्षिण एवं दक्षिण-पश्चिम एशिया में रेल परिवहन कनेक्टिविटी को सुदृढ़ बनाने’ पर दो दिवसीय बैठक आज नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र के एशिया एवं प्रशांत के लिए आर्थिक और सामाजिक आयोग (एस्कैप) द्वारा रेलवे के बीच सहयोग के लिए संगठन (ओएसजेडी) और भारत सरकार के रेल मंत्रालय के सहयोग से आयोजित की गई। रेल परिवहन को सुदृढ़ करने और दक्षिण एशिया एवं दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के बीच कनेक्टिविटी सुलभ कराने पर चर्चाएं हुईं। भारत सरकार के माननीय रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु के अलावा अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, ईरान, भारत, रूसी संघ, कजाकिस्तान, तुर्की और अन्य देशों के प्रतिनिधिगण भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस बैठक में दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम एशिया के भीतर सीमापार रेल परिवहन को मजबूत करने के लिए अभिनव उपायों की समीक्षा एवं पहचान करने पर विशेष जोर दिया गया, जो अपने विशाल सन्निहित भूभाग के बावजूद पूरी दुनिया के सबसे कम कनेक्टेड एवं एकीकृत उप क्षेत्रों में से एक है। उप क्षेत्र में आर्थिक विकास को नई गति देने, व्यापार एवं परिवहन कनेक्टिविटी को बढ़ाने और लोगों के रहन-सहन में सुधार के लिए रेल कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करना अत्यंत आवश्यक है। बैठक में दक्षिण एशिया, दक्षिण पश्चिम एशिया और मध्य एशिया के नौ देशों के सरकारी अधिकारीगण एवं नीति निर्माता एकजुट हुए और इसके साथ ही रेलवे से जुड़े विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय संगठनों के प्रतिनिधिगण, कनेक्टिविटी विशेषज्ञ एवं शिक्षाविद और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधि भी इस बैठक में शामिल हुए (संलग्न संभावित कार्यक्रम देखें)।
इस अवसर पर श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कहा, ‘कनेक्टिविटी एवं व्यापार के एकीकरण से विकास की रफ्तार तेज होती है। यह देखना रोचक होगा कि हम इस प्रक्रिया में किस तरह से शामिल हो सकते हैं। बाजार एकीकरण के लिए भौतिक कनेक्टिविटी की आवश्यकता पड़ती है और परिवहन के अन्य साधनों की तुलना में रेलवे कहीं ज्यादा भारी-भरकम क्षमता की ढुलाई कर सकती है। दक्षिण एशिया की आबादी सर्वाधिक है और जब वस्तुओं एवं सेवाओं की वृद्धि दर बेहतर होगी, तो इस क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर भी उच्च स्तर पर पहुंच जाएगी। अत: दक्षिण एशिया में रेल कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने का इरादा है, जो अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद साबित होगी। हमारी प्राथमिकता काठमांडू एवं नई दिल्ली, कोलकाता और काठमांडू के बीच कनेक्टिविटी विकसित करने की है। हम भारत, म्यांमार, भूटान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के बीच कनेक्टिविटी की संभावनाएं तलाश रहे हैं। दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के बीच कनेक्टिविटी इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ गरीबी उन्मूलन में भी मददगार साबित होगी। हमें भागीदार देशों के सहयोग की जरूरत है। ट्रांस-एशियन रेलवे नेटवर्क के तहत एस्कैप के अंतर्राष्ट्रीय रेल परिवहन प्रस्ताव इस संदर्भ में खास अहमियत रखते हैं। इस्तांबुल से ढाका तक के रेल मार्ग के प्रस्ताव का विशेष महत्व है, जो आईटीआई-डीकेडी रेल कॉरिडोर के रूप में भी जाना जाता है। इस रेल मार्ग का एक अहम खण्ड भारत से होकर गुजरता है। इस प्रस्ताव की सबसे महत्वपूर्ण खासियत यह है कि जहां एक ओर यह मुख्य रेल गलियारा दक्षिण एशिया से होकर गुजरता है, वहीं यह पड़ोसी उप क्षेत्रों को बहुविध संपर्क भी सुलभ कराता है। यह विशेषकर हमारे पड़ोस के भू-भाग से घिरे देशों की पारगमन संबंधी जरूरतों की पूर्ति करता है।’
एस्कैप के दक्षिण एवं दक्षिण पश्चिम एशिया कार्यालय (एस्कैप-एसएसडब्ल्यूए) के प्रभारी अधिकारी श्री मैथ्यू हैमिल ने अपने शुरुआती संबोधन में ट्रांस एशियन रेलवे नेटवर्क को परिचालन में लाने के साथ-साथ इस बात के लिए भी पहल करने पर विशेष जोर दिया कि भारतीय रेलवे किस तरह से दक्षिण एशिया की इस प्रक्रिया में योगदान दे सकती है। सत्र के दौरान अन्य वक्ताओं में भारत सरकार के रेलवे बोर्ड के सदस्य (यातायात) श्री मोहम्मद जमशेद, रेलवे के बीच सहयोग के लिए संगठन (ओएसजेडी) की समिति के अध्यक्ष श्री टेडेयूज़ सजोज्दा भी शामिल थे।
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