नई दिल्ली: भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने दक्षिण-पश्चिम मानसून-2017 के दौरान वर्षा संबंधी पहले चरण का पूर्वानुमान जारी किया। आईएमडी का पूर्वानुमान है कि दीर्घकालीन औसत के संदर्भ में मानसून के दौरान वर्षानुमान 96 प्रतिशत रहेगा। इसमें ± 5 प्रतिशत का अंतर हो सकता है। मानसून में सामान्य वर्षा की संभावना 38 प्रतिशत का आंकलन किया गया है।
आईएमडी दक्षिण-पश्चिम मानसून-2017 (जून से सितंबर) के लिए वर्षा संबंधी विभिन्न मासिक और मौसमी पूर्वानुमान जारी करता है। दक्षिण-पश्चिम मानसून संबंधी वर्षा के लिए क्रियाशील अनुमान दो चरणों में जारी किया जाता है। पहले चरण का पूर्वानुमान आज जारी किया गया और दूसरे चरण का पूर्वानुमान जून में जारी किया जाएगा। इन पूर्वानुमानों के लिए आधुनिकतम सांख्यिकी सम्मिलित पूर्वानुमान प्रणाली (एसईएफएस) का इस्तेमाल किया जाता है जिसे अनुसंधान के जरिये संशोधित किया जाता है और उसकी समीक्षा की जाती है। वर्ष 2012 से आईएमडी वैश्विक जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली (सीएफएस) का प्रयोग करता रहा है जिसे मानसून मिशन के तहत विकसित किया गया है। सीएफएस मॉडल को और सुधारा गया है। इसके तहत मानसून मिशन के अनुसंधान प्रयासों के जरिये भारतीय मानसून क्षेत्र के बारे में वर्षा का पूर्वानुमान किया जाता है
2017 दक्षिण-पश्चिम मानसून संबंधी वर्षा के पूर्वानुमान में एसईएफएस और मानसून मिशन जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली (एमएमसीएफएस) को आधार बनाया गया है। अप्रैल पूर्वानुमान आईएमडी के एसईएफएस मॉडल में पांच पूर्वानुमान संकेतकों का इस्तेमाल किया गया जिसका ब्यौरा इस प्रकार है –
क्र.स. | पूर्वानुमान संकेतक | अवधि | |
1 | उत्तर अटलांटिक और उत्तर प्रशांत के बीच समुद्री सतह का तापमान (एसएसटी) घटक | दिसंबर + जनवरी | |
2 | भूमध्यरेखीय दक्षिण हिंद महासागर एसएसटी | फरवरी | |
3 | पूर्व एशिया मध्यवर्ती समुद्र स्तर दबाव | फरवरी + मार्च | |
4 | उत्तर पूर्व यूरोप धरातल वायु दबाव | जनवरी | |
5 | भूमध्यरेखीय प्रशांत उष्ण जल परिमाण | फरवरी + मार्च | |
इस समय हिंद महासागर के ऊपर आईओडी परिस्थितियां बनी हुईं हैं। एमएमसीएफएस संकेतकों से पता चलता है किमानसून मध्य तक आईओडी हालात बढ़ेंगे और वह कुछ महीने और कायम रहेगा।