काशी के सभी छोटे-बड़े देवालयों में अन्नकूट का पर्व धूम-धाम से मनाया गया। आस्थावानों के लिए मुख्य केंद्र काशी विश्वनाथ मंदिर और अन्नपूर्णा मंदिर रहा। काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों को अन्नकूट की झांकी के दर्शन मिले तो अन्नपूर्णा मंदिर में दोपहर बारह बजे से शाम पांच बजे तक भोग प्रसाद का वितरण किया गया। अन्नपूर्णा मंदिर में 85क्विंटल मिष्ठान्न का भोग देवी को लगाया गया।
अन्नकूट के अवसर पर काशी विश्वनाथ मंदिर में लड्डुओं का शिवालय बनाया गया। मुख्य गर्भगृह के चारो ओर स्थित देव कक्षों में भी देव विग्रहों को छप्पनभोग लगाया गया। अन्नपूर्णा मंदिर में लगातार चौथे दिन स्वर्ण अन्नपूर्णा के विग्रह को अपार जनसमुदाय उमड़ा। पूर्वाह्न करीब साढ़े ग्यारह बजे माता अन्नपूर्णा की भोग आरती हुई। अन्नपूर्णा देवी और स्वर्ण अन्नपूर्णा के विग्रह के समक्ष छप्पनभोग अर्पित किए जाने के उपरांत भक्तों के बीच वितरण शुरू हुआ। अन्नपूर्णा मंदिर में भक्तों को शाम पांच बजे तक पांत में बैठाकर प्रसाद ग्रहण कराया गया। मां के मंदिर में सेवा देने वालों की भी कतार लगी रही।
अन्नपूर्णा मंदिर के अन्य देवालयों में भी विग्रह के सम्मुख छप्पन भोग की झांकी सजाई गई। हनुमान मंदिर के पूरी दीवार ही लड्डुओं से ढंक दी गई थी। शहर के नामी गिरानी चिकित्सक, साहित्यकार, सामाज सेवी और धर्माचार्य मां के दरबार में सेवादान करने पहुंचे थे। अन्नपूर्णा मंदिर के अन्नक्षेत्र में दक्षिण भारतीय भक्तों की कतार सुबह दस बजे से ही लगी रही। अन्नक्षेत्र में रात्रि नौ बजे तक अनवरत प्रसाद का वितरण जारी रहा। विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के कालिका मंदिर, श्रीराम मंदिर, शनि मंदिर, अक्षयवट हनुमान मंदिर, विशालाक्षी देवी मंदिर,नए विश्वनाथ मंदिर में भी अन्नकूट की झांकी सजाई गई।
मछोदरी स्थित स्वामी नारायण मंदिर में भी अन्नकूट की भव्य झांकी सजाई गई। पूर्वाह्न साढ़े ग्यारह बजे गोवर्धन पूजा विधि विधान से की गई। करीब एक घंटे तक हुई गोवर्धन पूजा के बाद अन्नकूट की झांकी के दर्शन आम भक्तों को सुलभ हुए। इसके उपरांत शाम पांच बजे तक भक्तों के लिए भंडारा हुआ। इस भंडारे में शहर के आम से लेकर खास लोग तक प्रसाद ग्रहण करने पहुंचे थे। इसके अतिरिक्त दुर्गा मंदिर, संकट मोचन मंदिर, दुर्ग विनायक गणेश मंदिर, संकठा देवी मंदिर, मंगला गौरी मंदिर, शीतला मंदिर, महालक्ष्मी मंदिर आदि सभी छोटे-बड़े देवालयों में अन्नकूट का पूर्व पपंरपरागत ढंग से मनाया गया।
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