नई दिल्लीः अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा देशभर में आयोजित किया जाने वाला हुनरहाट एक भरोसेमंद ब्रांड बन गया है, जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टैंड अप इंडिया’ और ‘स्टार्ट अप इंडिया’ की प्रतिबद्धता को पूरा करता है। आज यहां हुनरहाट पर दिए गए एक बयान में श्री नकवी ने कहा कि हुनरहाट देशभर के उस्ताद दस्तकारों और शिल्पकारों की प्रतिभा के मद्देनजर बाजार और अवसर प्रदान करने का एक प्रभावशाली अभियान साबित हो रहा है।
श्री नकवी ने कहा कि पिछले एक वर्ष के दौरान हुनरहाट ने 3 लाख से अधिक दस्तकारों और उनके साथ जुड़े अन्य व्यक्तियों को रोजगार और रोजगार अवसर देने की दिशा में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले और बाबा खड़क सिंह मार्ग, पुद्दुचेरी तथा मुम्बई में पांच हुनरहाटों का आयोजन किया गया था। उन्होंने बताया कि इस्लाम जिमखाना, मैरीन लाइन्स, मुम्बई में 4-10 जनवरी, 2018 को पांचवा हुनरहाट आयोजित किया गया था, जो बहुत सफल रहा। इसमें 5 लाख से अधिक लोग पहुंचे और उन्होंने देशभर से आए उस्ताद दस्तकारों तथा खानपान विशेषज्ञों का उत्साहवर्धन किया। आगंतुकों ने इन दस्तकारों द्वारा हस्तनिर्मित उत्पादों की बड़े पैमाने पर खरीददारी की। दस्तकारों को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से बड़े पैमाने पर आर्डर भी मिले।
मंत्री महोदय ने कहा कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय देश के विभिन्न भागों में ‘उस्ताद’ योजना के तहत हुनरहाट का आयोजन कर रहा है। हुनरहाट हजारों उस्ताद दस्तकारों, शिल्पकारों और खानपान विशेषज्ञों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में रोजगार तथा रोजगार अवसर प्रदान करने के अभियान में बहुत सफल रहा है।
मुम्बई में आयोजित होने वाले हुनरहाट में 130 से अधिक दस्तकारों, शिल्पकारों और खानपान विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। बड़ी तादाद में महिला दस्तकारों ने भी अपने कौशल का प्रदर्शन किया।
दस्तकारों ने अपने शानदार हस्तशिल्पों और हथकरघा उत्पादों का प्रदर्शन किया और उनकी बिक्री की। इन उत्पादों में असम के बेंत, बांस और पटसन उत्पाद; भागलपुर का टसर, गीजा, मटका रेशम; राजस्थान एवं तेलंगाना के पारंपरिक आभूषण, लाख की चूड़िया और आभूषण; पश्चिम बंगाल के कान्था उत्पाद; वाराणसी की कशीदाकारी; लखनवी चिकन कारीगरी, उत्तर प्रदेश की जरी जरदोजी; खुर्जा के चीनी मिट्टी के उत्पाद; पूर्वोत्तर के काले पत्थर के पात्र, सूखे फूल और पारंपरिक हस्तशिल्प; कश्मीर की कालीन और कागजी उत्पाद; गुजरात के अजरख प्रिंट, मुतवा, कच्छ की कढ़ाई और बंधेज; मध्यप्रदेश के बातिक/बाग/माहेश्वरी; बाड़मेर की एप्लीक और अजरख; मोरादाबाद के चमड़ा उत्पाद, बर्तन; तेलंगाना की कलमकारी इत्यादि उत्पाद शामिल थे।
पहली बार पारसी गारा कढ़ाई, लकड़ी पर खत्ताती और रोगन-कला के दस्तकारों ने भी शिरकत की। इसके अलावा मुम्बई के हुनरहाट के आगंतुकों ने कश्मीरी वाजवान, बंगाली मिठाई, नगालैंड के व्यंजन, केरल के कटहल, बिरयानी एवं कबाबों, राजस्थानी थाली, गुजराती थाली और कई अन्य व्यंजनों का लुत्फ उठाया।
श्री नकवी ने कहा कि छठवें हुनरहाट का आयोजन फरवरी में बाबा खड़क सिंह मार्ग पर किया जाएगा। आने वाले दिनों में हुनरहाट का आयोजन जयपुर, चंडीगढ़, कोलकाता, लखनऊ, भोपाल और अन्य स्थानों पर भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘हम देश के प्रत्येक राज्य में हुनर-हब स्थापित करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जहां वर्तमान आवश्यकता के मद्देनजर दस्तकारों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।’
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